'दिल्ली हिंसा' पर बोले BJP नेता शाहनवाज हुसैन- उपद्रवियों पर हो राजद्रोह का मुकदमा
बीजेपी नेता सैयद शाहनवाज हुसैन ने ट्वीट कर कहा है कि कल लाल किला पर हुए उपद्रव में जो लोग शामिल थे, उन पर राजद्रोह का मुकदमा चलाना चाहिए और सख्त सजा मिलनी चाहिए.
पटना: गणतंत्र दिवस के मौके पर देश की राजधानी दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च के दौरान हुए उपद्रव के बाद विवाद जारी है. आंदोलनकारी किसानों ने केंद्रीय एजेंसियों पर उनके आंदोलन को बदनाम करने की साजिश का आरोप लगाया है. जबकि, कई पार्टियों के नेता मंगलवार को दिल्ली में हुई हिंसा का किसानों को जिम्मेवार ठहरा रहे हैं. इसी क्रम में बिहार विधान परिषद के सदस्य और बीजेपी नेता सैयद शाहनवाज हुसैन का इस पूरे मामले पर एक बयान सामने आया है.
उपद्रवियों पर हो राजद्रोह का मुकदमा
बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा है कि कल लाल किला पर हुए उपद्रव में जो लोग शामिल थे, उन पर राजद्रोह का मुकदमा चलाना चाहिए और सख्त सजा मिलनी चाहिए. शाहनवाज हुसैन बिहार विधान परिषद के सदस्य होने के साथ-साथ वे बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं. ऐसे में किसान आंदोलन को लेकर उनका ये बयान अहम है.
दीप सिद्धू की भूमिका पर उठ रहे सवाल
इस पूरे घटना क्रम पर किसान नेता सरदार राजिंदर सिंह ने बॉलीवुड अभिनेता दीप सिद्धु की भूमिका पर सवाल उठाये हैं. दीप सिद्धू एक अभिनेता हैं, जिनकी पीएम मोदी के साथ एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. ऐसे में किसान नेताओं का आरोप है कि दीप सिद्धू ने केंद्र सरकार के इशारे पर इस पूरे आंदोलन को हिंसक रूप देने की योजना बनाई थी.
लाल किले में घुसकर मचाया उत्पात
दरसअल, मंगलवार को दिल्ली की सड़को पर जो हुआ उसे लेकर किसान आंदोलनकारी पर सवाल उठना भी लाजमी हो गया है. दिल्ली पुलिस ने पहले ही आंदोलनकारियों को ट्रेक्टर परेड करने के लिए तय रूट पर अनुमती दे दी थी. लेकिन इसके बाद भी प्रदर्शनकारियों ने तय रूट से हटकर ट्रेक्टर मार्च निकाला और राजधानी की सड़कों पर जमकर उपद्रव मचाया. इस दौरान प्रदर्शनकारी दिल्ली के लाल किले में भी घुस गए और वहां अपना झंडा फहरा दिया.
लगभग दो महीने से कर रहे प्रदर्शन
गौरतलब है कि दिल्ली के अलग-अलग बॉडर्स पर किसान तकरीबन दो महीने से केंद्र सरकार की तीन कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. हालांकि, इस मामले में आंदोलनकारी और सरकार के बीच कई राउंड की बैठक हो चुकी है. बावजूद इसके इस मामले का कोई हल नहीं निकल पाया है. किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार बिना किसी शर्त के ये तीनों कृषि कानून वापस लें.
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