पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने बुधवार को कहा कि मुख्यमंत्री के इशारे पर शिक्षा विभाग में आपातकाल-जैसी स्थिति पैदा कर धर्मनिरपेक्षता और शिक्षकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है. माहौल ऐसा है कि बीपीएससी (BPSC) से चयनित 32 हजार योग्य शिक्षक किसी स्कूल में योगदान करने को तैयार नहीं हैं. पहले धर्म और भाषा के आधार पर बड़ा भेदभाव करते हुए स्कूली छात्रों-शिक्षकों के लिए छुट्टियों के अलग-अलग कैलेंडर जारी किए गए और फिर एक साथ चार कड़े आदेश जारी कर शिक्षकों के कुछ बोलने-बयान देने या संगठन बनाने पर भी रोक लगा दी गई.


शिक्षा विभाग में अघोषित इमरजेंसी है- सुशील कुमार मोदी 


सुशील कुमार मोदी ने कहा कि शिक्षा विभाग में अघोषित इमरजेंसी है और नीतीश सरकार 'अनुशासन पर्व' मना रही है, इसलिए उसके किसी भी आदेश का उल्लंघन करने पर शिक्षकों का वेतन रोका जा सकता है. बीपीएससी का विरोध करने पर 7 लोगों को कड़ी चेतावनी दी गई है. शिक्षा विभाग अपनी सीमा का अतिक्रमण कर विश्वविद्यालय शिक्षकों पर भी स्कूल-जैसी कार्य संस्कृति थोपना चाहता है इसलिए प्रतिदिन पांच क्लास न लेने पर वेतन और पेंशन रोकने का आदेश दिया गया है. विश्वविद्यालय शिक्षकों के संगठन 'फूटा' ने ऐसे आदेश वापस न लेने पर आंदोलन की बात कही है.


'सरकार को छुट्टियों में भेदभाव-पूर्ण कटौती वापस लेनी होगी'


बीजेपी नेता ने कहा कि सामान्य स्कूलों के लिए 2023 के शैक्षणिक कैलेंडर में रक्षाबंधन, अनंत चतुर्दशी, जितिया और तीज की छुट्टियां हैं, जबकि अगले साल ये छुट्टियां नहीं मिलेंगी और दुर्गापूजा-दीवाली-छठ जैसे बड़े हिंदू त्योहारों की छुट्टियां भी काफी कम रहेंगी. सरकार को छुट्टियों में भेदभाव-पूर्ण कटौती वापस लेनी होगी.


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