पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने सोमवार को कहा कि पीएम आवास, आयुष्मान भारत (Ayushman Bharat) और उज्ज्वला रसोई (Ujjwala Yojana) गैस जैसी गरीब कल्याण योजनाओं के जमीन पर लागू होने की स्थिति का आकलन करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को देश के 765 जिलों में भेजने का प्रधानमंत्री मोदी का फैसला नौकरशाही का सदुपयोग है, जबकि नीतीश सरकार (Nitish Kumar) 'कर्पूरी चर्चा', 'भीम संवाद' और मुख्यमंत्री की सभाओं में भीड़ जुटाने के लिए विकास मित्र एवं स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को लगाकर सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर रही है.


'अधिकारियों का काम केवल एसी कमरों में बैठना ही नहीं है'


सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अधिकारियों का काम केवल एसी कमरों में बैठ कर योजनाओं की समीक्षा करना नहीं, बल्कि भौतिक रूप से मौके पर जाकर यह देखना भी है कि गरीबों को योजनाओं का पूरा लाभ मिल रहा है या नहीं. योजनाओं का संपूर्ण क्रियान्वयन सुनिश्चित करना क्या लोकसेवक का दायित्व नहीं है? उन्होंने कहा कि अफसरों को गरीबों के पास भेजने वाली 'विकसित भारत संकल्प यात्रा' से मल्लिकार्जुन खरगे और ललन सिंह को मिर्ची क्यों लग रही है?


जेडीयू को अपने गिरेबां में झांक कर देखना चाहिए- सुशील मोदी


बीजेपी नेता ने कहा कि जेडीयू के भीम संवाद में दलित बस्तियों से भीड़ जुटाने का जिम्मा राज्य सरकार से मानदेय पाने वाले 'विकास मित्रों' को सौंपना सत्ता का दुरुपयोग है. क्या जेडीयू का कैडर समाप्त हो गया है? 'कर्पूरी चर्चा' कराने में राज्य सरकार अतिपिछड़ा कल्याण विभाग का भी दुरुपयोग कर रही है. जेडीयू को अपने गिरेबां में झांक कर देखना चाहिए. बता दें कि केंद्र की बीजेपी सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को जन-जन तक अब अधिकारी पहुंचाएंगे. इसको लेकर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. वहीं, इस पर अब राजनीति शुरू हो गई है.


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