पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने मंगलवार को कहा कि कई अति पिछड़ी जातियों की शिकायत आई है कि उनकी संख्या जानबूझ कर कम दर्ज कराई गई, जबकि एक धर्म विशेष एवं जाति विशेष की संख्या को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया है. इसकी जांच कराई जानी चाहिए. जातीय सर्वे में कितनी ईमानदारी बरती गई और राजनीतिक आकाओं के इशारे पर कितनी गड़बड़ी की गई, यह तो जांच से ही पता चलेगा. उन्होंने कहा कि यदि जातीय सर्वे के आंकड़े (Bihar Caste Survey Results) सही हैं, तो सबसे बड़ी आबादी (36फीसद ) वाले अतिपिछड़े समाज का व्यक्ति मुख्यमंत्री या डिप्टी सीएम होना चाहिए. सर्वे का सम्मान करते हुए नीतीश कुमार और तेजस्वी प्रसाद यादव को अतिपिछड़ों के लिए गद्दी छोड़नी चाहिए.


'अतिपिछड़ा समाज की रेणु देवी को डिप्टी सीएम बनाया गया'


सुशील कुमार मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार 33 साल से अतिपिछड़ों के वोट से राज कर रहे हैं. जब बीजेपी को मौका मिला तो अतिपिछड़ा समाज की रेणु देवी को डिप्टी सीएम बनाया गया. इसी वर्ग के हरि सहनी को पार्टी ने विधान परिषद में विपक्ष का नेता बनाया. 14 फीसद मुस्लिम आबादी को अतिपिछड़ा वर्ग में शामिल दिखाकर हिंदू समाज के इस वर्ग की हकमारी करने की साजिश की गई है. संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता. सर्वे में एक धर्म विशेष की कुछ आबादी को हिंदुओं के अतिपिछड़ा वर्ग में दिखाने की भी शिकायतें मिली हैं.


बिहार सरकार ने जारी किया है जाति आधारित सर्वेक्षण की रिपोर्ट


बता दें कि महात्मा गांधी की जयंती के दिन बिहार सरकार ने बहुप्रतीक्षित जाति आधारित सर्वेक्षण जारी किया. रिपोर्ट के अनुसार, अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की आबादी 36.01 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 1.68 प्रतिशत है, जबकि राज्य की कुल 13 करोड़ से अधिक आबादी में सवर्ण 15.52 प्रतिशत हैं. इस बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आम लोगों के हित में नीतियां बनाने के लिए मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. इसमें नौ दल शामिल हुए.


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