पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने कहा कि जब सर्वे (Bihar Caste Survey) के आंड़ों पर सवाल उठ रहे हैं और कई जातियां ठगा हुआ महसूस कर रही हैं, तब वार्ड-वार आंकड़ों का प्रकाशन ही संदेह दूर कर सकता है. इसे जारी करना आसान है क्योंकि अब आंकड़ों का विश्लेषण नहीं करना है. आरजेडी और जेडीयू (RJD-JDU) जैसे सत्तारूढ़ दलों को जातीय सर्वे के वार्ड-वार आंकड़े चुपचाप उपलब्ध करा दिए गए हैं, ताकि वे इसके आधार पर चुनावी रणनीति बनाए जा सकें.
'प्रत्येक वार्ड के जातीय सर्वे की रिपोर्ट जारी करनी चाहिए'
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सरकार को विधानसभा सत्र का इंतजार किए बिना प्रत्येक वार्ड के जातीय सर्वे की रिपोर्ट जारी करनी चाहिए, ताकि सच सामने आए. जातीय सर्वे-2022 के अनुसार बिहार में कोड-22 के अन्तर्गत थर्ड जेंडर की संख्या 825 है, जबकि 2011 की जनगणना रिपोर्ट में बिहार के थर्ड जेंडर समुदाय की आबादी 40,827 बताई गई थी.
सुशील मोदी ने जातीय सर्वे की रिपोर्ट पर उठाया सवाल
एवं राज्यसभा सांसद ने कहा कि क्या यह आंकडों में गड़बड़ी का प्रमाण नहीं है? क्या 11 साल में थर्ड जेंडर की संख्या बढने की बजाए 40 हजार कम हो गई? बिहार में जातीय सर्वे कराने का निर्णय बीजेपी के सरकार में रहते हुआ था, पार्टी का समर्थन था, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि हम तथ्यों के आधार पर सर्वे की त्रुटियों-विसंगतियों पर कोई सवाल न उठाएं. बता दें कि सरकार ने आगामी छह नवंबर से 10 नवंबर तक शीतकालीन सत्र की तिथि निर्धारित की है. शीतकालीन का सत्र भले ही मात्र पांच दिनों का है, लेकिन हंगामेदार होने के आसार हैं. इसी सत्र में जाति आधारित गणना को पटल पर रखने की बात होगी. जातीय गणना की रिपोर्ट पर सदन में बहस होने की संभावना है.
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