आरा: बिहार के आरा जिले में बीती रात जिला प्रशासन द्वारा प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और आरजेडी के पूर्व मंत्री अंबिका शरण सिंह की प्रतिमा की जगह पर अश्वारोही सैन्य पुलिस का अश्वारोही लौह प्रतीक लगा दिया गया. सुबह होते ही यह मामला पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया. इधर, इस बात से नाराज अंबिका शरण सिंह के बेटे पूर्व मंत्री सह वर्तमान बड़हारा विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह जिलाधिकारी के पास पहुंचे और इस मामले में शिकायत की. इस दौरान एमएलसी राधा चरण शाह, पूर्व विधायक विजयेंद्र यादव समेत अन्य एनडीए के नेता उनके साथ मौजूद थे.


साजिश के तहत लगाई गई प्रतिमा


जिलाधिकारी से मिलने के बाद बीजेपी विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी से उन्होंने पूरे मामले में शिकायत की है. उन्होंने कहा कि जब उस स्थल पर स्वतंत्रता सेनानी स्व.अंबिका शरण सिंह की प्रतिमा लगने वाली थी, तो प्रशासन ने रात के अंधेरे में वहां एक काले घोड़े की मूर्ति क्यों लगा दी. अगर उन्हें ऐसा करना ही था तो रात में चोरों की तरह क्यों किया? दिन में क्यों नहीं? यह सब एक सोची समझी साजिश के तहत किया जा रहा है.


समर्थकों ने कॉल कर दी जानकारी


उन्होंने बताया कि 1996 में लालू प्रसाद ने प्रतिमा का शिलान्यास किया था. मांझी जी के समय में भी मूर्ति के काम को आगे बढ़ाया गया और आज दिल्ली में प्रतिमा बन कर तैयार है. उन्होंने बताया कि कल अचानक मुझे एक कॉल आया और बताया गया कि रात में जिला प्रशासन द्वारा अंबिका चौक पर अश्वारोही लौह प्रतीक का काला घोड़ा लगा दिया गया है. इस बात से लोगों में भारी आक्रोश है. जहां एक स्वतंत्रता सेनानी की प्रतिमा होनी चाहिए, वहां एक घोड़े की मूर्ति को लगा दिया गया है.


जिलाधिकारी ने कही जांच की बात


वहीं, जिला प्रशासन को कड़ी शब्दों में चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन बहुत गलत कर रही है. साजिश के तहत जो अंबिका बाबू के व्यक्तित्व को गिराने का काम किया जा रहा है, उससे लोगों में बहुत आक्रोश है. अगर अब कुछ होता है, तो मेरी जवाबदेही नहीं रहेगी. वहीं, जिलाधिकारी से बात करने पर उन्होंने कहा कि सभी पेपर की जांच की जा है. अगर सभी पेपर सही है तो वहां से सात दिनों के अंदर हम लोग मूर्ति हटवा देंगे.


दरअसल, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने स्व.अंबिका शरण सिंह की तारीफ करते हुए उनकी प्रतिमा लगाने की बात कही थी और उनके प्रतिमा का शिलान्यास भी 1996 में किया था. उसके बाद उक्त प्रतिमा के स्थल को अंबिका चौक के नाम से जाना जाने लगा था. लेकिन कल वहां पर जिला प्रशासन ने अश्वारोही लौह प्रतीक लगा दिया, जिसपर अब विवाद शुरू हो गया है.


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