पटनाः बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने संविधान में संशोधन कर एससी, एसटी के लिए प्रमोशन में आरक्षण का प्रावधान किया. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने एक फैसले में क्रीमी लेयर लागू करने का निर्देश दिया है जिसका बीजेपी (BJP) मजबूती से विरोध कर रही है. सुप्रीम कोर्ट एससी, एसटी के प्रमोशन के मामले में शीघ्र फैसला दे क्योंकि पूरे देश में प्रमोशन के हजारों मामले पिछले कई वर्षों से अटके हुए हैं. सुशील कुमार मोदी बिहार विधान परिषद के सभागार में  मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री की 108वीं जयंती पर आयोजित व्याख्यानमाला को संबोधित कर रहे थे.


सुशील कुमार मोदी ने कहा कि कांग्रेस शुरू से ही आरक्षण का विरोधी रही है. 27 जून, 1961 को राज्यों के मुख्यमंत्रियों को नेहरू द्वारा लिखे एक पत्र से स्पष्ट है कि उनकी मानसिकता आरक्षण के पक्ष में नहीं थी क्योंकि उनका मानना था कि आरक्षण से अयोग्य व अक्षम लोग नौकरियों में आते हैं. किंतु, आज हकीकत है कि दलितों की उपेक्षा और आरक्षण का विरोध करने की कोई भी पार्टी हिम्मत नहीं कर सकती है.


मुआवजे की राशि 7.5 लाख तक हुई


केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार ने एससी, एसटी अत्याचार अधिनियम की कुछ धाराओं को जब सुप्रीम कोर्ट ने हटाया तो अधिनियम में संशोधन करके न केवल इसे पुनर्स्थापित किया बल्कि 11 नई धाराएं जोड़कर उसे और अधिक कठोर भी बनाया. विभिन्न मामलों में मुआवजे की राशि 75 हजार से 7.5 लाख तक कर दी.


उन्होंने कहा कि संसदीय और नौकरियों में आज जो आरक्षण है, वह गांधी और आंबेडकर की देन है. अगर आरक्षण का प्रावधान नहीं होता तो शायद ही कोई दलित संसद और विधान सभाओं में पहुंच पाता. भाजपा के लिए देश की 22.5% एससी, एसटी आबादी की हित-रक्षा रणनीति नहीं, निष्ठा है.



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