पटना: 2024 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) से पहले सीएम नीतीश (Nitish Kumar) ने बड़ा दांव चला है. बिहार में जातीय गणना (Caste Survey) के समाजिक-आर्थिक रिपोर्ट जारी होने के बाद सीएम नीतीश ने आरक्षण का दायरा 75% करने का प्रस्ताव दिया था. आरक्षण का दायरा बढ़ाने के प्रस्ताव को बिहार कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है. महागठबंधन सरकार आज आरक्षण संसोधन बिल 2023 सदन के पटल पर रखी. विधानसभा में बिल दो हिस्सों में पेश किया गया. इसमें शिक्षण संस्थानों व सरकारी नौकरी में आरक्षण शामिल है. विधान सभा में बिल सर्वसम्मति से पारित हो गया. एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस के आरक्षण को 50 फीसदी से बढ़ाकर 65% किया जाएगा. वहीं, ईडब्ल्यूएस का 10 फीसद आरक्षण बना रहेगा. बिहार में कुल 75 फीसद आरक्षण किए जाने का प्रस्ताव है.


राज्यपाल के पास अब भेजा जाएगा विधेयक


अनुसूचित जाति का 16 से बढ़कर 20 प्रतिशत आरक्षण, अनुसूचित जनजातियों को 1 से बढ़कर 2 प्रतिशत आरक्षण, पिछड़ा-अति पिछड़ा का 30 से बढ़कर 43 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव है. आर्थिक कमजोर वर्ग का 10 आरक्षण बना रहेगा. विधान परिषद में बिल कल पेश होगा. उनके बाद बिल को राज्यपाल के पास मंज़ूरी के लिए भेजा जाएगा. नीतीश के इस फैसले को मास्टरस्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन इससे 2024 चुनाव में कितना लाभ होगा यह समय बताएगा. विधानसभा में बीजेपी ने सदन में आरक्षण संसोधन बिल का समर्थन किया. बीजेपी सरकार के इस फैसले के समर्थन में खड़ी है. बीजेपी पंचायत, नगर निकाय में भी आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग कर रही है. 


सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे रखा है


विधान परिषद में शुक्रवार को बिल पारित होते राज्यपाल के पास इसको मंजूरी के लिए भेज दिया जाएगा. राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद इसकी नियमावली बनेगी. नियमावली बनने के बाद यह बिहार में लागू हो जाएगा, लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या राज्यपाल की मंजूरी मिल जाएगी? दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे रखा है कि आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढाया जा सकता. ऐसे में मामला फंस सकता है. इसको लागू करने में एक स्थिति कोर्ट की सहमति की भी बन सकती है.
 
कई राज्यों में आरक्षण का दायरा नहीं बढ़ सका है


बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में भी आरक्षण का दायरा बढ़ाने के प्रस्ताव को विधानसभा से पारित कर राज्यपाल के पास भेजा गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे रखा है कि आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढाया जा सकता इसलिये झारखंड के राज्यपाल ने अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया का इस पर मंतव्य मांगा था. उन्होंने साफ इनकार कर दिया था यह कहते हुए कि यह संभव नहीं है. इसके बाद झारखंड में आरक्षण का दायरा बढ़ाने के प्रस्ताव को राज्यपाल ने मंजूरी नहीं दी. मामला झारखंड में लटका हुआ है. छत्तीसगढ़ में भी आरक्षण का दायरा बढ़ाने के प्रस्ताव को राज्यपाल ने मंजूरी नहीं दी. अब बिहार में राज्यपाल का क्या रुख रहेगा इसपर बिहार सरकार की नजरें टिकी हैं. 


बीजेपी की मंशा की परीक्षा होगी- चेतन आनंद 


आरजेडी विधायक चेतन आनंद ने कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए बिहार सरकार ने आरक्षण संसोधन बिल पेश नहीं किया. 2024 चुनाव को लेकर यह कोई मास्टरस्ट्रोक नहीं है. जनता की हित हम लोग चाहते हैं. बीजेपी की मंशा की परीक्षा होगी. राज्यपाल से बात कर मंजूरी बिल को बीजेपी दिलाए. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे रखा है कि आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढाया जा सकता. इस पर चेतन आनंद ने कहा कि कानूनी तौर पर मामला फंसेगा या क्या होगा? ये तो बाद की बात है. राज्यपाल की मंजूरी मिलती है या नहीं यह देखना है, लेकिन बिहार सरकार ने तो बड़ा फैसला अपने तरफ से ले लिया है. 


आरक्षण के पक्ष में बीजेपी हमेशा रही है- हरिभूषण ठाकुर बचौल 


वहीं, सदन में बिल पेश होने से पहले ही बीजेपी ने रुख स्पष्ट कर दिया था. बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने कहा था कि सदन में हम लोग आरक्षण संसोधन बिल का समर्थन करेंगे. बीजेपी चाहती है कि आरक्षण का दायरा बढ़े. जनता की हित के हर फैसले का बीजेपी समर्थन करती है और बिहार सरकार के साथ खड़ी है. आरक्षण के पक्ष में बीजेपी हमेशा रही है. वैसे इस फैसले से बिहार सरकार को चुनावी लाभ नहीं होने वाला है. 


'केंद्र सरकार पूरी तरह से डरी और घबराई हुई है' 


जेडीयू कोटे के मंत्री रत्नेश सदा ने कहा कि आरक्षण का दायरा बढ़ाने का निर्णय बिहार सरकार ने जिस तरह से लिया इससे बीजेपी, केंद्र सरकार पूरी तरह से डरी और घबराई हुई है. इन लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि अब क्या करें? बिहार सरकार के इस फैसले से सभी वर्ग को लाभ होगा. हर जाति को फायदा होगा. नीतीश सरकार सबको साथ लेकर चलती है. हर वर्ग की नीतीश को चिंता है. सियासी लाभ के लिए नीतीश ने यह फैसला नहीं लिया. 2024 चुनाव से जोड़कर इसको नहीं देखा जाए.