पटना: बिहार में जातीय गणना (Caste Census) पर पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) के रोक के बाद महागठबंधन और बीजेपी (BJP) के नेता एक-दूसरे पर इन दिनों आरोप लगा रहे हैं. जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने याचिकर्ताओं को लेकर रविवार को बीजेपी पर ठीकरा फोड़ा था. वहीं, इस आरोप पर पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने सोमवार को कहा कि यदि जातीय जनगणना का निर्णय होने के बाद मुख्यमंत्री ने अकेले श्रेय लेने का मोह छोड़ कर सभी दलों को विश्वास में लिया होता और कोर्ट में कानूनी पक्ष रखने सहित तैयारी के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की होती , तो इस पर रोक की नौबत नहीं आती.


'जेडीयू इसका ठीकरा बीजेपी के सिर फोड़ना चाहता है'


सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जातीय जनगणना के विरुद्ध याचिका दायर करने वालों से बीजेपी के संबंध की बात बिल्कुल भ्रामक है. हम ऐसी दोमुंही राजनीति नहीं करते कि जिस मुद्दे का विधानसभा में समर्थन करें, उसी के विरोध में किसी को अदालत भेज दें. जातीय जनगणना पर हाईकोर्ट में कमजोर पैरवी के कारण इस पर रोक लगी और जेडीयू इसका ठीकरा बीजेपी के सिर फोड़ना चाहता है.


जातीय सर्वे करना जनगणना नहीं है. सुशील कुमार मोदी


बीजेपी नेता ने कहा कि जातीय जनगणना पर हाईकोर्ट ने जो प्रश्न उठाये हैं, उनका उत्तर देने के लिए सरकार को तुरंत सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए और जरूरत पड़े तो विधानसभा का विशेष सत्र बुला कर कानून बनाना चाहिए. जातीय जनगणना कराने का निर्णय बीजेपी के सरकार में रहते हुआ था और इसके लिए विधान मंडल में दो बार प्रस्ताव पारित होने से लेकर प्रधानमंत्री से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में सम्मिलित रहने तक, हर स्तर पर पार्टी समर्थन में खड़ी रही. जातीय सर्वे करना जनगणना नहीं है. यह राज्यों का अधिकार है. बिहार से पहले कर्नाटक और तेलंगाना सरकार ऐसे सर्वे करा चुकी है.