पटना: बिहार में गरीबी दर की कमी को लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने शनिवार को कहा कि 2014 में एनडीए (NDA) सरकार बनने के बाद अगले ही वित्तीय वर्ष से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बिहार जैसे पिछड़े राज्यों के विकास में पूरी ताकत लगा दी, इसलिए उदार केंद्रीय सहायता और नई-नई कल्याणकारी योजनाओं में भारी निवेश से 16 फीसद लोग गरीबी रेखा से ऊपर आए. इसका लाभ सबसे ज्यादा बिहार को मिला. नीति आयोग की रिपोर्ट यह प्रमाणित करती है मोदी-सरकार के नौ साल में बिहार गरीबी दूर करने में सबसे आगे रहा. यह बदलाव केंद्र सरकार के बिना नहीं, केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी की वजह से ही सम्भव हुआ, लेकिन नीतीश सरकार (Nitish Kumar) बेवजह अपनी पीठ थपथपा रही है.


नीतीश सरकार बेवजह अपनी पीठ थपथपा रही है- सुशील मोदी


सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नौ साल में ग्रांट इन एड (सहायता अनुदान) में यूपीए शासन की तुलना में 4.5 गुना वृद्धि कर इस मद में 2 लाख 35 हजार करोड़ से ज्यादा राशि दी गई. इसी तरह डिवोल्यूशन ग्रांट में 3.5 गुना वृद्धि कर 1 लाख 6 हजार करोड़ से बढा कर 3 लाख 57 हजार करोड़ कर दिया गया. 'गरीबी हटाओ' के खोखले नारे से नहीं, बल्कि एनडीए सरकार की ठोस नीति और ईमानदार नीयत से बदलाव हुआ. केंद्र सरकार की किसान सम्मान निधि योजना पर 18 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए, जिससे 85 लाख से ज्यादा किसानों को लाभ हुआ.


'पीएम आवास योजना पर 18 हजार करोड़ खर्च हुए'


बीजेपी नेता ने कहा कि बिहार में नए पुल, महासेतु और 6-लेन सड़कों के निर्माण पर एक लाख करोड़ रुपये केंद्र सरकार ही खर्च कर रही है. इससे राज्य के हजारों लोगों को ही रोजगार पाने और गरीबी मिटाने का अवसर मिल रहा है. प्रधानमंत्री आवास योजना पर 18 हजार करोड़ खर्च हुए, जिससे 37.39 लाख शहरी और ग्रामीण गरीबों को अपना पक्का मकान मिला. अन्न योजना से लगभग 9 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन मिला. उज्जवला योजना के तहत 1.7 करोड़ गरीबों को गैस कनेक्शन मिले. इनमें 76 हजार लाभार्थी दलित-आदिवासी समुदाय के हैं.


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