पटना: बीजेपी के प्रदर्शन के दौरान 13 जुलाई को पार्टी नेता की मौत हो गई थी. इस मुद्दे को लेकर बीजेपी (BJP) काफी एक्टिव है. इस मामले की जांच के लिए बीजेपी ने शुक्रवार को सांसदों की चार सदस्यीय समिति गठित की. समिति गठन के बाद चार सदस्यीय दल शनिवार को पटना पहुंचा. इसमें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास (Raghuvar Das), बीजेपी सांसद मनोज तिवारी (Manoj Tiwari), सुनीता दुग्गल (Sunita Duggal) और बीडी राम (BD Ram)शामिल थे. वहीं, बीजेपी के प्रदेश कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जांच टीम के संयोजक रघुवर दास ने कहा कि बिहार की स्वार्थी गठबंधन ने बिहार के लोगों को नौकरी देने का वादा किया था. बीजेपी का शांति मार्च और विधानसभा घेराव था. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने राज्य प्रायोजित हिंसा करवाई है. लाठीचार्ज का नियम है कि कमर से नीचे लोगों को पीटा जाए.


नीतीश कुमार इसे अपनी अहम मुद्दा न बनाएं- रघुवर दास


रघुवर दास ने कहा कि विजय सिंह की मौत की घटना को बीजेपी गंभीरता से देख रही है. बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने इसलिए टीम को जांच करने के लिए भेजा है. डाकबंगला चौराहे पर पूरे कार्यकर्ता बीजेपी के नहीं पहुंचे थे. इसके पहले ही लाठीचार्ज शुरू हो गई. मुझे तस्वीरों को देखकर लगा. जेपी मूवमेंट में जो लाठीचार्ज की घटना हुई थी वही फिर याद आ गई .उन्होंने कहा इस मामले की न्यायिक जांच होना चाहिए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसे अपनी अहम मुद्दा न बनाएं. एक बीजेपी कार्यकर्ता की मौत हुई है. न्यायिक जांच होने पर ही सही से घटना का खुलासा होगा.


न्यायिक जांच की करेंगे मांग- सुनीता दुग्गल 


हरियाणा की सांसद सुनीता दुग्गल ने कहा कि हमने जो देखा उसे उससे यही प्रतीत होता है कि नीतीश कुमार की पुलिस ने जिस तरह पर महिलाओं की पिटाई की है आज तक मैंने नहीं देखा. इस लाठीचार्ज में बर्बरता की पराकाष्ठा की गई है. इस घटना से महिलाओं के प्रति नीतीश कुमार की क्या सोच है, यह दिखाई पड़ती है. इस लाठीचार्ज से जलियांवाला बाग याद याद आ गया. हम लोग राष्ट्रीय अध्यक्ष को अनुशंसा करेंगे कि इस मामले की न्यायिक जांच हो.


'प्रदर्शनकारियों पर अपराधियों जैसे प्रहार किया गया है'


वहीं, बीजेपी सांसद और पूर्व डीजीपी बीडी राम ने कहा कि पुलिस के नियम के अनुसार किसी इंसान को रोकने के लिए कम से कम बल प्रयोग करना होता है. एक प्रदर्शन को रोकने के लिए इतनी बड़ी संख्या में फोर्स की तैनाती की गई था. एक व्यक्ति के पीछे 20 पुलिसकर्मी के करीब लगाए गए थे. राजनीतिक दल के प्रदर्शनकारियों पर अपराधियों को रोकने जैसे प्रहार किया गया है. पुलिस के द्वारा यह पूरी तरह गलत है. हम लोग अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष से इन सारी बातों से अवगत कराएंगे.


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