पटना: बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) ने पूर्वी चंपारण में हुई मौत (Motihari Hooch Tragedy) पर सरकार पर आरोप लगाते हुए शनिवार को कहा है कि यह सब राज्य में आधे अधूरे शराबबंदी लागू करने और नियंत्रण नहीं कर पाने के कारण हो रहा है. पूर्वी चंपारण में जहरीली शराब से हुई मौत सरकार की विफलता को दर्शाता है.जहरीली शराब से कुछ माह पूर्व छपरा में बड़ी संख्या में लोग मरे थे लेकिन सरकार ने कोई सीख नहीं ली. मृतकों के आंकड़ों को घटाने और छिपाने के अलावे कुछ नहीं किया जाता है. 


अधिकारी करते हैं फर्जीवाड़ा'


विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि श्मशान घाटों में अनगिनत लाशों को जलाए जाने के बाद भी सरकार के पदाधिकारियों के बीच प्रतिस्पर्धा रहती है कि किस प्रकार फर्जीवाड़ा कर वास्तविक स्थिति को राज्यस्तर पर छुपा कर रखा जाए अब फिर से मोतिहारी में भी यही खेल किया जा रहा है. यह राज्य का दुर्भाग्य है कि मुख्यमंत्री कहते हैं जो पियेगा सो मरेगा. शराबवंदी के वावजूद लोगों को शराब की डिलीवरी होने के विषय पर पूरा महकमा चुप्पी साध रखा है. सत्ता में बैठे लोगों के छत्रछाया में यह कारोबार फल फूल रहा है. प्रशासन और पुलिस के लिए शराबबंदी असीम अवैध कमाई का जरिया बन गया है.


सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार


नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हाल ही में जमानत के एक मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिहार सरकार को फटकार लगाई गई है और कहा गया है कि सरकार शराबबंदी और अन्य मामलों में जमानत याचिका की अलग-अलग सूची बनाकर अगली तारीख को कोर्ट के समक्ष रखे. हाल ही में आरजेडी के एमएलसी के यहां शराब मामले को लेकर रांची में छापेमारी की गई थी, यह अपने आप में सबूत है कि सत्ताधारी लोगों का इस अवैध कारोबार में संलिप्तता है. समस्तीपुर में जेडीयू के बड़े नेता के परिवार के सदस्य को शराब बेचने के मामले में पकड़ा गया था.


नेता प्रतिपक्ष ने की मुआवजे की मांग


आगे बीजेपी नेता ने कहा कि सरकार ने जानबूझकर सोशल मीडिया पर कार्रवाई कर रही है ताकि इन घटनाओं की सही और वास्तविक स्थिति की जानकारी लोगों तक नहीं पहुंच सके. उन्होंने सरकार से मांग की है कि छपरा सहित मोतिहारी की घटनाओं की न्यायिक जांच कराई जाए और दोनों जगहों पर मृतकों के परिजनों को मुआवजा मिलना चाहिए. बजट सत्र में भी विपक्ष द्वारा छपरा में जहरीली शराब से मरे लोगों के परिजनों के लिए मुआवजा की मांग की गई थी लेकिन सरकार ने मृतकों के परिवार के लिए कोई सहानभूति नहीं दिखाई.


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