Bihar Politics: BJP ने मुकेश सहनी को इस 'गलती' को सुधारने की दी चेतावनी, कहा- जल्दी सुधार करिए, नहीं तो हम...
बीजेपी नेता कहा कि सहनी के इस फैसले की मैं निंदा करता हूं. इस फैसले से पूरा मत्स्य जीवी समाज नाराज है. मैं अपील करता हूं वो इस भूल को सुधारते हुए तुरंत कार्रवाई करें. अन्यथा मैं उनपर कार्रवाई करूंगा.
पटना: वीआईपी (VIP) नेता मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) पर बीजेपी का अटैक जारी है. सहनी को 'हैसियत' दिखाने के बाद भी बीजेपी उन्हें बख्शने मूड में नहीं है. इसी क्रम में रविवार को बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल (Sanjay jaiswal) ने फिर एक बार सहनी पर निशाना साधा है. साथ ही कार्रवाई करने की चेतावनी दी है. जायसवाल ने कहा, " मुकेश सहनी के कार्यकाल में मत्स्य जीवी समाज के साथ नाइंसाफी हुई है. साथ ही उनका सबसे ज्यादा नुकसान भी हुआ है."
सहनी के इस फैसले को गलत बताया
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, " सहकारिता मंत्रालय की तरफ से पांच चिट्ठियां लिखने के बावजूद भी उनके कार्यालय की ओर से ये नहीं बताया गया कि परंपरागत मत्स्य जीवी समाज कौन हैं. मछुआरा कॉपरेटिव सोसाइटी में ये प्रावधान है कि उसका अध्यक्ष परंपरागत मत्स्य जीवी समाज का ही होगा. लेकिन मत्स्य जीवी समाज के मंत्री पद को खत्म कर मुकेश सहनी ने इसके संचालन के लिए एक अफसर को तैनात किया. अब उन्हें अधिकारी के नीचे काम करना पड़ रहा है. लगातार इसकी शिकायत मिल रही है."
बीजेपी नेता कहा कि मुकेश सहनी के इस फैसले की मैं निंदा करता हूं. इस फैसले से पूरा मत्स्य जीवी समाज नाराज है. ऐसे में मैं अपील करता हूं वो इस भूल को सुधारते हुए तुरंत कार्रवाई करें. अन्यथा मैं उनपर कार्रवाई करूंगा. ये बिल्कल बर्दाश्त के योग्य नहीं है. जिस तरह से उन्होंने मत्स्य जीवी सहयोग कमेटी का मंत्री पद खत्म किया ये एकदम गलत है.
जा सकता है सहनी का मंत्री पद
बता दें कि यूपी चुनाव में बीजेपी से बगावत करके मैदान में उतरे मुकेश सहनी को पार्टी ने हर तरह से नुकसान पहुंचाया है. पहले बीजेपी ने उनसे बोचहां विधानसभा सीट छीन ली और फिर उनकी पार्टी के तीनों विधायकों को बीजेपी में शामिल करा कर बिहार में उनकी ताकत खत्म कर दी. दो महिने बाद सहनी का बतौर विधान पार्षद कार्यकाल भी खत्म हो रहा है.
अब तक के बीजेपी के रुख से स्पष्ट है कि पार्टी उनको फिर से विधान परिषद नहीं भेजेगी. अगर ऐसा हुआ तो सहनी मंत्री भी नहीं रहेंगे क्योंकि मंत्री होने के लिए किसी एक सदन का सदस्य होना जरूरी होता है.
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