आरा: प्रचंड गर्मी की मार से केवल आम आदमी ही नहीं बल्कि जानवर भी परेशान हैं. गर्मी की वजह से एक हिरण की मौत का मामला सामना आया है. संदेश प्रखंड इलाके के जगनपुरा और पांडेपुर गांव के बधार में शुक्रवार को पानी की तलाश में निकले एक हिरण की मौत हो गई. इसका वीडियो बनाकर लोगों ने वायरल कर दिया. घटना की जानकारी जब वन विभाग को लगी, तब आनन-फानन में अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे.


घटनास्थल से एक काले हिरण का शव बरामद किया गया है. वन विभाग की टीम हिरण के शव को पोस्टमार्टम के लिए ले गई. हिरण के शरीर पर कुत्तों के नोंचने के निशान भी पाए गए हैं. संदेश प्रखंड इलाके में हिरणों का झुंड हमेशा रहता है. ग्रामीणों का कहना है कि इस भीषण पानी की तलाश में हिरण, नीलगाय और कुत्ते-सियार पानी की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं. 


सोन में अधिक बालू कटाव से हिरणों का आशियाना उजड़ा


भोजपुर के संदेश और कोईलवर इलाकों में हिरणों की संख्या अधिक है. सोन किनारे गांवों के आस-पास और सोन में हिरणों का बसेरा रहता है, लेकिन सोन में अवैध बालू खनन के चलते हिरणों का बसेरा भी उजड़ गया है. सोन में पानी नहीं होने से हिरण गांवों की ओर जा रहे हैं और कुत्तों का शिकार हो रहे हैं, तो कुछ सड़क हादसे का शिकार भी हो रहे हैं. 


भोजपुर में एक भी रेस्क्यू सेंटर नहीं 


भोजपुर में फिलहाल एक भी रेस्क्यू सेंटर नहीं है. वन विभाग की ओर से संदेश प्रखंड के अखगांव के पास काला हिरण बचाव केंद्र बनाने के लिए जगह चिह्नित कर प्रस्ताव भेज दिया गया है. संदेश प्रखंड में काला हिरण बचाव केंद्र बनाने की योजना बनाई गई थी. इसके लिए अखगांव के पास सोन नदी के किनारे स्थित करीब 45 एकड़ सरकारी जमीन चिह्नित की गई है.


इस योजना में 20 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च होने का प्रारंभिक अनुमान है. स्वीकृति मिलने पर हिरण बचाव केंद्र बनने की संभावना है. केंद्र बनने पर जंगली और आवारा जानवरों को राहत मिलेगी. उनके खाने-पीने के साथ ही इलाज की समुचित व्यवस्था की जाएगी. इससे हिरनों की जान बचेगी और सुरक्षित भी रहेगी. 


काला हिरण बचाव केंद्र बनाने की कवायद शुरू


सीमावर्ती जिला बक्सर के नावानगर में काला हिरण बचाव केंद्र बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है. वहां पहले ही स्वीकृति मिल गई है. नावानगर में करीब 12 एकड़ जमीन में यह बचाव केंद्र बनाया जा रहा है. उसी तरह भोजपुर में भी रेस्क्यू एंड इंटरप्रटेशन सेंटर बनाने का प्लान तैयार किया जा रहा है. इसका उद्देश्य है कि आस-पास के इलाके में रहने वाले काले हिरण सहित हिरणों की अन्य प्रजातियां सुरक्षित रह सकें.  


भविष्य में इसे राजगीर की जू सफारी की तर्ज पर भी विकसित किये जाने की संभावना है. सोन नदी के किनारे रेस्क्यू एंड इंटरप्रटेशन सेंटर के बनने के बाद एक ही जगह पर काले हिरण सहित हिरणों की विभिन्न प्रजातियों का एक साथ दीदार हो सकेगा. इस केंद्र  के बनने पर कई प्रजाति की पक्षियां भी लोगों को देखने को मिल सकेंगी. बता दें कि 2018 में हुई गणना के अनुसार भोजपुर समेत शाहाबाद में नौ सौ काला हिरणों के अलावा विभिन्न प्रजातियों के पांच हजार से अधिक हिरणों का पता चला था. 


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