औरंगाबादः किसी शायर ने सही कहा है कि "कौन कहता है कि नहीं हो सकता है आसमां में सुराख, एक पत्थर तो तबीयत से उछालकर देखो”. इस कहावत को अपनी लगन, परिश्रम और जुनून से औरंगाबाद की अदिति ने सच कर दिखाया. अदिति ने बिना किसी कोचिंग और बिना किसी सहयोग से घर पर रहकर पढ़ाई की और लगातार दो बार असफल होने के बाद 65वीं बीपीएससी (65th BPSC) की संयुक्त परीक्षा में 133वां स्थान प्राप्त किया है. अदिति की इस उपलब्धि से हर तरफ उसकी तारीफ हो रही है तो लोग बधाई भी दे रहे हैं. अब वह डीएसपी बनकर सेवा देंगी.


अदिति के पिता पंकज सिन्हा औरंगाबाद खाद्य निगम में प्रबंधक के पद पर तो मां सरकारी विद्यालय में शिक्षिका है. अदिति ने बताया कि वर्ष 2008 में डीएवी से सीबीएसई की बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उसने अभियंत्रण की पढ़ाई पूरी की, लेकिन बिहार में काम करने की इच्छा को वह दबा नहीं सकी. उसने सोचा कि बिहार से बाहर रहकर वह अपने बिहार की और यहां के लोगों की सेवा नहीं कर सकती. ऐसी स्थिति में उसने बीपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. उसके इस पढ़ाई में माता और पिता दोनों रोल मॉडल बने और उनका भरपूर सहयोग मिला.


असफलता को बनाया हथियार


अदिति ने बताया कि उसके तैयारी का बेस अंग्रेजी था और अंग्रेजी में कोई अच्छी पुस्तक नहीं होने के कारण उसने इंटरनेट का सहारा लिया और कोर्स मटेरियल एकत्रित किया. जब बीपीएससी 63वीं परीक्षा का रिजल्ट आया तो असफलता हाथ आई. उसने असफलता को ही हथियार बनाया और 64वीं परीक्षा दी लेकिन कैल्कुलेटर नंही रहने के कारण उसका स्टैटिक्स खराब हो गया और दूसरी बार भी असफलता हाथ लगी. इस बार की असफलता ने तोड़ दिया लेकिन माता-पिता और सहपाठियों ने हौसला बढ़ाया और जो कमियां थीं उसे दूर कर हर विषय में कैसे अधिक से अधिक स्कोर की जाय उस पर फोकस किया.


इस परीक्षा की तैयारी करने वालों के लिए अदिति ने बताया कि असफलता से हताश नहीं होकर उससे सीख लेनी चाहिए. युवा वर्ग से अपील करते हुए कहा कि इंटरनेट का उपयोग ज्ञान अर्जन के लिए करें. अदिति ने कहा कि वह अपने पद के साथ इंसाफ करने और विभाग में कई तरह के सुधार लाने को लेकर कृतसंकल्पित हैं.



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