पटना: BPSC PT के प्रश्न पत्र लीक मामले में मंगलवार को आर्थिक अपराध इकाई ने आरा के एग्जाम सेंटर पर तैनात BDO जयवर्धन गुप्ता सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है. जयवर्धन गुप्ता को सेंटर मजिस्ट्रेट बनाया गया था. लेकिन, बड़ा सवाल यह कि एक दागी अधिकारी को इतनी बड़ी जिम्मेदारी कैसे दी गई? यह बीपीएससी की लापरवाही है या फिर नीतीश सरकार भी इस साजिश में शामिल है?


गौरतलब है कि बड़हरा बीडीओ जयवर्धन गुप्ता पहले से ही दागी रहे हैं. भोजपुर में पोस्टिंग से पहले सरकार ने इनका पावर छीन लिया था. लंबे समय तक जयवर्धन गुप्ता को वेटिंग फॉर पोस्टिंग की लिस्ट में रखा गया था. पिछले साल बिहार में पंचायत चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग ने राज्यभर में लगभग 60 दागी पदाधिकारियों की पोस्टिंग में फेरबदल किया था, जिसमें जयवर्धन गुप्ता का भी नाम शामिल था.


निगरानी टीम ने घूस लेते हुए किया था गिरफ्तार 


बता दें कि लगभग चार साल पहले पटना जिले के घोसवरी प्रखंड के तत्कालीन बीडीओ जयवर्धन गुप्ता को निगरानी विभाग की टीम ने एक लाख रुपये घूस लेते हुए रंगेहाथ पकड़ा था. जयवर्धन की गिरफ्तारी मोकामा के मोलदियार टोला स्थित उनके किराये के मकान से हुई थी. निगरानी के पुलिस उपाधीक्षक पारस नाथ सिंह के नेतृत्व में धावा दल ने उन्हें एक लाख रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था.


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गिरफ्तारी के बाद पद से हटा दिया गया था


गौरतलब है कि पटना स्थित घोसवरी थाने के मालपुर गांव के रहने वाले दिनेश गोप ने निगरानी अन्वेषण ब्यूरो में शिकायत दर्ज कराई थी कि बीडीओ जयवर्धन गुप्ता एक योजना की प्रशासनिक स्वीकृति देने के एवज में एक लाख रुपये की रिश्वत की मांग कर रहे हैं. शिकायत के सत्यापन के बाद विजिलेंस ने इस उन्हें धर दबोचा था. मोकामा में गिरफ्तारी के बाद बीडीओ जयवर्धन को पद से हटा दिया गया था. ऐसे में जयवर्धन गुप्ता जैसे दागी अधिकारी को सेंटर मजिस्ट्रेट बनाना कई सवाल खड़े कर रहा है.


चारों को गिरफ्तार कर लाया गया पटना


बता दें कि मंगलवार को आर्थिक अपराध इकाई की टीम सुबह से ही बीडीओ जयवर्धन गुप्ता से पूछताछ कर रही थी. वहीं, इस मामले में कुंवर सिंह कॉलेज के प्रिंसिपल योगेंद्र प्रसाद सिंह, एग्जाम कंट्रोलर और सहायक एग्जाम कंट्रोलर को भी गिरफ्तार किया गया है. सभी को गिरफ्तार कर पटना लाया गया है.


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