पटनाः बिहार के प्राथमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 45 हजार 892 हेडमास्टरों की बीपीएससी से नियुक्ति होनी है. इनमें 40,558 पद प्राथमिक स्कूलों के प्रधान शिक्षकों की जबकि 5,334 प्रधानाध्यापक के पद उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालयों के होंगे. इस साल 17 अगस्त को ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में इसकी मंजूरी दी गई. क्या आपको यह पता है कि यह पहली बार नहीं है जब बीपीएससी की ओर से शिक्षकों की बहाली हो रही है. इसके पहले भी बीपीएससी से शिक्षकों की बहाली हुई है.


दरअसल, यह दूसरी बार है जब 2021 में कैबिनेट की बैठक में यह घोषणा हुई है कि बिहार में 45,892 हेडमास्टरों की बीपीएससी से नियुक्ति होगी. बता दें कि इसके पहले 1993 में भी शिक्षकों की बहाली के लिए बीपीएससी की ओर से परीक्षा ली गई थी. उस समय भी बीपीएससी से परीक्षा लेने के बाद शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी. 


कौन होगा दावेदार?


इस संबंध में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा था कि अबतक ऐसे स्कूलों में सबसे वरीय शिक्षक विद्यालय का संचालन करते थे. प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापकों के नए संवर्ग के पदों पर सिर्फ शिक्षक ही दावेदार होंगे. प्राथमिक स्कूलों में प्रधान शिक्षक पद के लिए अर्हता सरकारी स्कूल में आठ साल का शिक्षण तय किया गया है. वहीं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के पद के लिए अपने मूल कोटि में 8 साल पूरा करने वाले सरकारी स्कूलों के शिक्षक जबकि निजी विद्यालयों (सीबीएसई, आईसीएसई बोर्ड के स्कूल) में 12 साल की सेवा पूरी करने वाले शिक्षक योग्य होंगे.


इसी वित्तीय वर्ष में होगा सब कुछ


बता दें कि कैबिनेट की बैठक के बाद शिक्षा मंत्री ने कहा था कि पूरी योजना बन चुकी है. प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापक के पद पर जल्द से जल्द तैनाती की कोशिश होगी. प्रयास होगा कि इसी वित्तीय वर्ष में नए संवर्ग के हेडमास्टर स्कूलों को मिल जाएं. बीपीएससी से शीघ्रता करने का अनुरोध किया जाएगा. राज्य के सरकारी मध्य विद्यालय या उच्च विद्यालय में पहले से सृजित पद पर कार्यरत प्रधानाध्यापक अपने पद पर बने रहेंगे.



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