सिवान: हमारे यहां परंपरा है कि लड़के वाले शादी करने के लिए लड़की वाले के यहां बारात लेकर जाते हैं. इसके बाद शादी कर धूमधाम से दुल्हन को घर लेकर आते हैं लेकिन सिवान में इस परंपरा को तोड़कर एक संदेश दिया गया कि लड़के वाले ही नहीं बल्कि लड़की वाले भी बारात लेकर जा सकते हैं. मामला जिले के नौतन प्रखंड के ग्राम पंचायत गंभीरपुर का जहां यह अनोखी शादी देखने को मिली. रमिता और अमृत की इस शादी की चर्चा अब हर तरफ हो रही है.


दरअसल, नौतन थाना क्षेत्र के गंभीरपुर के रहने वाले हरेराम माझी के पुत्र अमृत ने 15 जुलाई को हसुथा थाना के हिरमकरियार के रहने वाले किसान माझी की पुत्री रमिता के साथ स्वेच्छा से शादी की. पूरे समाज के बीच रमिता को अपनी धर्मपत्नी बनाया. इस शादी में ना तो पंडित था और ना ही हजाम. इसके बावजूद हिंदू प्रथा के अनुसार रमिता और अमृत की शादी हुई और सिंदूरदान भी हुआ.


शादी में होने वाले सारे रश्मों को निभाया


इतना ही नहीं बल्कि शादी के लिए जितने भी रश्म होते हैं वह सारे निभाए गए. शादी से पहले वरमाला के रश्म को भी निभाया गया. इस शादी के बाद लोगों को मिठाइयां भी बांटी गईं. इस शादी को देखने के लिए गांव के लोग काफी संख्या में जुट गए थे. लोग इसे बेहतर पहल भी बता रहे हैं. इसके बाद इस अनोखी शादी की सिवान ही नहीं बल्कि कई जगहों पर इसकी चर्चा होने लगी.


मौके पर केंद्रीय कमेटी के सदस्य और सिवान के चर्चित नेता कॉमरेड नईमुद्दीन अंसारी ने कहा कि "जिसकी जैसी आमदनी होती है, वैसे अपने लड़के या लड़की की शादी करता है, लेकिन बिना दहेज और इस अनोखी शादी से समाज को एक संदेश भी जाता है.” इस शादी के बाद लड़का-लड़की के परिवार और विवाह में शामिल लोगों में खुशी देखने को मिली है. 


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