(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
उद्घाटन से पहले ही ढह गया निर्माणाधीन पुल, 1 करोड़ 42 लाख की लागत से किया जा रहा था निर्माण
विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट होते ही सरकार की ओर से की जा रही उद्घाटन-शिलान्यास का कार्यक्रम रफ्तार पकड़ चुकी है. इसी क्रम में किशनगंज में भी पुल का उद्घाटन होने वाला था, लेकिन उद्घाटन से पहले ही यह निर्माणाधीन पुल बह गया है.
किशनगंज: सत्तरघाट पुल का अप्रोच रॉड ध्वस्त होने पर सियासत अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि फिर से सुशासन बाबू के विकास का पुल धराशायी हो गया. इस बार किशनगंज जिले के दिघलबैंक में 1 करोड़ 42 लाख की लागत से बन रहा पुल ध्वस्त हुआ है. दरअसल, पुल तेज बहाव झेल नहीं पाया और ध्वस्त हो गया. बता दें कि कनकई नदी ने विकराल रूप को धारण करते हुए सीमांचल के ग्रामीण क्षेत्रों को अपने आगोश में ले लिया है.
तेज धार की चपेट में आने से धंस गया पुल
दरअसल, विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट होते ही सरकार की ओर से की जा रही उद्घाटन-शिलान्यास का कार्यक्रम रफ्तार पकड़ चुकी है. इसी क्रम में किशनगंज में भी पुल का उद्घाटन होने वाला था, लेकिन उद्घाटन से पहले ही यह निर्माणाधीन पुल बह गया है. दिघलबैंक प्रखंड के पत्थरघट्टी पंचायत के ग्वाल टोली के पास से बह रही कनकई नदी के धार के चपेट में आने से गुवाबाड़ी के पास करीब 1 करोड़ 42 लाख की लागत से बन रहा पुल धंस गया.
कई गांव का मुख्यधारा से जोड़ने का था सपना
पुल के धंस जाने की वजह से इस रास्ते खुद को मुख्य धारा से जोड़ने की वर्षों से आस संजोए ग्वाल टोली, गुवाबाड़ी, दोदरा, कमरखोद, बेलबारी, संथाल टोला जैसे दर्जनों गांवों के हजारों की आबादी का इंतजार एक बार फिर से बढ़ गया है.
ग्रामीणों ने प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधि तक को कोसा
निर्माणाधीन पुल के टूट जाने के बाद ग्रामीणों का कहना है कि अगर सही समय पर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस ओर जाता तो आज पत्थरघट्टी पंचायत के 6 से अधिक गांवों पर यह खतरा न तो मंडराता और न ही इस प्रकार की नई समस्याओं का सामना रोज हमलोगों को करना पड़ता.
अधिकारियों ने कही यह बात
वहीं निर्माणाधीन पुल के धंसने को लेकर जब ग्रामीण विकास विभाग के जूनियर इंजीनियर रामानंद यादव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिस वक्त पुल को बनाने का काम प्रारंभ हुआ था, वहां पर कनकई नदी का एक मरिया धार था और पुल उसी हिसाब से बनाया जा रहा था. लेकिन अचानक से इस बार नदी का रूख बदल गया और हजारों एकड़ में फैला पानी जब केवल कुछ मीटर लंबे पुल से गुजरने लगे तो, इसे अनहोनी ही कहेंगे और इस प्रकार की अनहोनी से इंकार भी नहीं किया जा सकता है.
कनकई लगतार बरपा रही है कहर
कनकई नदी ने इस बार अपना रौद्र रूप दिखाया है. पहले पूर्णिया के बायसी में घरों का नदी में विलीन होना और उसके बाद पूर्णिया के ही अमौर में एक स्कूल का महज 5 सेकंड में ध्वस्त होना कनकई के रौद्र रूप की गवाही दे रही थी. अब दिघलबैंक में पुल का धसना कई सवाल खड़े कर रहा है. बीते करीब एक दशक से दिघलबैंक प्रखंड में कनकई नदी ने सबसे अधिक नुकसान पत्थरघट्टी पंचायत को ही पहुंचाया है.