बिहारः PMCH में लाल खून के ‘काले धब्बे’, 15 यूनिट के लिए 60 हजार रुपये लिए; VIDEO VIRAL
भोजपुर के रहने वाले अनूप ने अपनी मां का इलाज कराने के लिए पटना के पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में कराया था भर्ती.पेशेंट को ब्लड की जरूरत थी तो अस्पताल के कर्माचारी ने दलाल के पास भेजा. पैसे खत्म हो गए तो बंद हो गया खून मिलना.
पटना: कोरोना महामारी में बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में दलालों की मौज है. यहां इंसानियत को मारकर दलाली को जिंदा रखा गया है. पीएमसीएच के टाटा वार्ड से जारी एक वीडियो के बाद फिर से पीएमसीएच सवालों के घेरों में है. इस वार्ड में भर्ती एक महिला के परिजनों से 15 यूनिट खून के बदले में यहां के कर्मचारी और दलालों ने 60 हजार रुपये ले लिए. जब पैसे खत्म हो गए तो फिर खून मिलना बंद हो गया.
ब्लड डोनर को बिना जांच के ही बता दिया गया उसे अयोग्य
इस मामले जब मरीज के परिजन ने वीडियो बनाकर जारी किया तो इस सारे काले कारोबार का खुलासा हुआ. पीड़ितों को खून मिलना बंद हो गया तो उन्होंने जान देने की धमकी देते हुए मामले की शिकायत की. दुखद यह कि एक गैर सरकारी संगठन ने जब तीन डोनर भेजे तो खून बेचने वालों ने बिना उनकी जांच किए सभी को रक्तदान के लिए अयोग्य करार दे दिया.
खूनी पिशाच! बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में दलालों का आतंक. पीएमसीएच के टाटा वार्ड से जारी इस वीडियो में दलाल के चंगुल में फंसे पीड़ित ने बताया कि एक मरीज से 15 यूनिट के लिए 60 हजार रुपये वसूले और सबूत भी दिए. pic.twitter.com/GuCGMJBfW8
— Prakash Kumar (@kumarprakash4u) May 14, 2021
पीएमसीएच में सारी व्यवस्था फेल, कोई देखने वाला नहीं
टाटा वार्ड की व्यवस्था की पोल खोलते हुए अनूप ने कहा कि यहां कोई देखने वाला नहीं है. सात दिन से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. एंडोस्कोपी डॉक्टरों ने लिखा है लेकिन अभी तक जांच नहीं की गई है. मां की हालत दिन प्रतिदिन खराब हो रही है. पेशेंट आ रहे, लेकिन बच कर कम ही जा रहे हैं, यहां सब फेल है.
भोजपुर के रहने वाले अनूप कुमार ने बताया कि उनकी मां 65 वर्षीय उर्मिला देवी को लंबे समय से पखाना के साथ खून जा रहा था. इसकी वजह से हीमोग्लोबिन काफी कम हो गया. छह मई को टाटा वार्ड में डॉ. कौशल किशोर की यूनिट में उन्हें भर्ती किया गया. डॉक्टर ने बताया कि खून की बहुत कमी है. 2.9 ग्राम हीमोग्लोबिन और 40 हजार प्लेटलेट्स हैं इसलिए पीआरबीसी, प्लेटलेट्स व आइवीआइजी चढ़ाना होगा. शुरुआत में हम लोगों ने अपना खून देकर प्लेटलेट्स व पीआरबीसी का इंतजाम किया. इसके बाद की जरूरत पर डॉक्टरों को बताया कि अब उनके पास डोनर नहीं है. उन्होंने कॉल बुक में खून देने को लिखा, लेकिन ब्लड बैंक के कर्मचारियों ने खून देने से मना कर दिया.
इसके बाद बहुत आग्रह करने पर कर्मचारी ने बाहर खड़े अपने आदमी के पास जाने को कहा. इसके बाद से वह 15 यूनिट आरबीसी व प्लेटलेट्स के लिए अब तक 60 हजार रुपये दे चुका है. पैसे खत्म होने पर उन्होंने खून देने से मना कर दिया. एक एनजीओ ने तीन डोनर भेजे लेकिन बिना उनकी जांच किए सिर्फ देखकर तुम बहुत कमजोर हो. तुमने खाना नहीं खाया और तुम बीमार दिख रहे होकर खून लेने से मना कर दिया. अब हमारे पास पैसे नहीं हैं, यदि कोई मदद नहीं मिली तो हम जहर खाकर जान देंगे तब शायद पीएमसीएच प्रशासन जागेगा.
पीड़ित ने ऑनलाइन भी किया पैसा ट्रांसफर
अनूप ने कहा कि अब तक वे 22 से 25 यूनिट खून ले चुके हैं. इसमें कुछ रिश्तेदार और घर वालों ने डोनेट किया बाकी सब दलाल से खरीदा. कर्मचारी द्वारा बताए गुड्डु नाम के दलाल के मोबाइल नंबर 9472585708 पर बात होती थी. शुरुआत में पैसे लेने के बाद जब गुड्डू से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की बात कही तो उसने शशिकांत नामक व्यक्ति के 7739422040 नंबर पर पैसे ट्रांसफर कराए. अनूप ने आरोप लगाया कि काउंटर पर मौजूद कर्मी ही जरूरतमंदों को दलालों के पास भेजता है.
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