पटना: लोकसभा 2024 में बीजेपी को हराने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी एकता की अगुवाई कर रहे हैं. आगामी 23 जून को पटना में विपक्षी एकता की बैठक होने वाली है. दावा किया जा रहा है कि 15 से ज्यादा देश की विपक्षी पार्टियों के बड़े नेता इस बैठक में शामिल होंगे लेकिन दलित नेता के रूप में पहचान रखने वाली बहनजी मायावती विपक्ष की बैठक में शामिल नहीं होंगी.


बिहार प्रभारी अनिल सिंह ने बताई पार्टी की रणनीति


मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी के बिहार प्रभारी अनिल सिंह ने कहा कि हमारी पार्टी ने पहले ही साफ कर दिया है कि विपक्ष की एकता में हम लोग शामिल नहीं रहेंगे. देश के लगभग 5 राज्यों में हम लोग चुनाव लड़ते हैं और इस बार भी अकेले चुनाव लड़ेंगे. बिहार की सभी 40 सीटों पर BSP अपना प्रत्याशी उतारेगी.


अनिल सिंह ने कहा कि हम लोग दलितों के उत्थान के बारे में सोचते हैं, इसलिए दलित प्रधानमंत्री होना चाहिए जो मायावती से बेहतर कोई नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष में सभी अपने-अपने चेहरे को आगे कर रहे हैं. नीतीश कुमार से बिहार तो संभल नहीं रहा है वह देश को संभालने चले हैं. 


बहुजन समाजवादी पार्टी की स्थिति बिहार में भी कमजोर नहीं है. इससे पहले भी हमें अच्छे वोट मिले हैं. उन्होंने बताया कि सबको अपनी पार्टी के लिए चुनाव लड़ने का अधिकार है. हम लोग किसी भी सूरत में विपक्ष पार्टियों के साथ नहीं रहेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि यह एकता कुछ दिनों के लिए है देखिए आगे क्या -क्या होता है.


मांझी को भी नहीं मिला न्योता


मायावती के अलावा बिहार में जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को भी विपक्षी एकता की बैठक के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है. जीतन राम मांझी ने 2 दिन पहले ही इस बात की सूचना मीडिया को दी थी. जीतन राम मांझी भी दलित परिवार से आते हैं और उनकी पार्टी भी दलित वोट का प्रतिनिधित्व करती है. दलित पार्टी में लोक जनशक्ति पार्टी का भी एक नाम है जो बीजेपी के साथ है. ऐसे में विपक्षी एकता में दलित पार्टियों का ना होना यह दर्शाता है कि महागठबंधन के लिए सब कुछ इतना आसान नहीं है.


कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने बताया क्या है मसला?


इस पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि जिन्हें यह लगता है कि बीजेपी को हराना है तो वह खुद विपक्षी एकता की बैठक में शामिल हो जाएं और उन्हें होना भी चाहिए क्योंकि सभी को एकजुट करना हमारा लक्ष्य है. जीतन राम मांझी को क्यों आमंत्रित नहीं किया गया है यह बिहार का मसला है, इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, ललन सिंह और तेजस्वी यादव देख रहे हैं, क्योंकि जीतन मांझी हमारे महागठबंधन के साथ हैं. देश में कई पार्टियां हैं जिन्हें हम लोग आग्रह कर रहे हैं कि सभी लोग एकजुट होकर 2024 में बीजेपी को हराने का संकल्प लें.


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