पटना: बिहार में 67वीं बीपीएसस के बाद एक बार फिर बिहार एसएससी का पेपर लीक हो चुका है. सरकार कार्रवाई और जांच की बात कर रही है तो वहीं बीजेपी पोल खोलने में लगी है. सोमवार को विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) ने बयान जारी कर कहा कि बीएसएससी पेपर लीक मामले में सरकार नीचे के तबके के कर्मचारियों पर कार्रवाई कर खानापूर्ति कर रही है. जो मुख्य अभियुक्त हैं, जिनकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए, जो टॉप लेवल पर बैठे हैं उनको बचाने का खेल शुरू हो गया है.
नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि आज बीपीएससी के अंदर सिपाही बहाली, दारोगा बहाली इन सब में जैसे ही नियुक्ति निकलती है उसकी बोली लगने लगती है. कहा कि सरकार इसकी सीबीआई जांच क्यों नहीं कराती है? पांच-पांच साल और सात-सात साल से जो ऊपर बैठे हैं सरकार उनकी जिम्मेदारी तय कर क्यों नहीं हटा रही है? सरकार की मिलीभगत है. सरकार नहीं चाहती है कि जिसमें प्रतिभा है उसको आगे आने दें. भाई-भतीजावाद नियुक्ति घोटाला बड़ा खेला है. लंबी बोली लगती है.
'सरकार पांच से दस हजार रुपये दे'
सरकार पर हमला करते हुए विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि समय रहते प्रतिभाशाली बच्चों के साथ सरकार नाइंसाफी न करे. सारी परीक्षा को रद्द करे. इसकी सीबीआई जांच कराए. जिसने भी बीपीएससी या बीएसएससी के अंतर्गत होने वाली परीक्षा दी है उसको रद्द किया जाता है तो यह सरकार की खामियों के कारण होता है. परीक्षा की फीस और आने जाने का खर्च पांच से दस हजार रुपये सरकार छात्रों को प्रदान करे. तेजस्वी यादव जब नेता प्रतिपक्ष थे तो मांग कर रहे थे. आज सरकार में बैठ कर मौन हो गए हैं.
विजय सिन्हा ने कहा कि क्यों कुर्सी के लिए तेजस्वी यादव इतने लाचार बेबस हो गए हैं? धृतराष्ट्र की जमात में बैठकर जो तमाशा प्रशासनिक अराजकता के कारण बन रही है और बिहार के बच्चों के अंदर निराशा पैदा कर रहे हैं ये दुखद दुर्भाग्यपूर्ण है. इसका आक्रोश अब सड़क पर दिखाई पड़ेगा. बच्चों का आंदोलन जब शुरू होगा तो अच्छी अच्छी सरकार हिल जाती है.
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