गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज (Gopalganj Bypolls) में पूर्व सांसद लवली आनंद (Lovely Anand) समेत तीन के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है. पूर्व सांसद लवली आनंद काफी मुश्किलों में घिरती नजर आ रहीं हैं. गोपालगंज के विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) मानवेंद्र मिश्रा की अदालत ने शनिवार को एसपी को आदेश दिया है कि तीनों को गिरफ्तार कर कोर्ट में प्रस्तुत करें. आचार संहिता उल्लंघन के 27 साल पुराने मामले में ये कार्रवाई की गई है.


अभियोजन पदाधिकारी आनंद शर्मा ने बताया कि न्यायालय की ओर से कारण-पृच्छा किया गया था. कारण-पृच्छा निर्गत करने के बावजूद पिछले चार तिथियों से तामिला नहीं किया गया और न ही कोर्ट में कोई जवाब दाखिल हुई. बताया जाता है कि कुचायकोट प्रखंड के तत्कालीन अंचल पदाधिकारी प्रियरंजन सिन्हा के आवेदन पर तत्कालीन सांसद लवली आनंद के अलावा चंद्रहास राय, प्रमोद सिंह, सुभाष सिंह के विरुद्ध प्राथमिकी कराई गई थी. 


1995 का है मामला


बता दें कि 17 अप्रैल 1995 को लवली आनंद, प्रमोद सिंह और चंद्रहास राय के खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 126 के अंतर्गत मामले को कोर्ट ने संज्ञान में लिया था. आरोपियों की उपस्थिति के लिए सम्मन निर्गत किया. इसके बाद एक जुलाई 2019 को सुभाष सिंह, चंद्रहास सिंह, प्रमोद सिंह का केस पृथक कर दिया गया. यह केस पूर्व सांसद लवली आनंद की उपस्थिति के लिए लंबित चला आ रहा है. 


वहीं 20 मार्च 1996 को तत्कालीन सांसद लवली आनंद पर लोकसभा अध्यक्ष के माध्यम से सम्मन रजिस्ट्री द्वारा तामिला करने का आदेश हुआ. पांच जुलाई 1997 को जमानती वारंट निर्गत किया गया. इसके बाद 10 जून 1999 को गैर जमानती वारंट निर्गत किया गया.


2006 में मांगी गई थी तामिला रिपोर्ट


2006 में तामिला रिपोर्ट की मांग की गई. लवली आनंद की उपस्थिति के संबंध में लोकसभा सचिवालय के संयुक्त सचिव वीके शर्मा का पत्र मिला. इसमें बताया गया कि लवली आनंद वर्तमान में सांसद नहीं हैं. लोकसभा सचिवालय के माध्यम से उनकी उपस्थिति सुनिश्चित नहीं कराई जा सकती. इसके साथ ही उनके स्थायी पते पर गिरफ्तारी वारंट निर्गत करने का अनुरोध किया गया.


इसके बाद 12 जुलाई 2022 को पुलिस अधीक्षक, गोपालगंज आनंद कुमार के माध्यम से तीनों आरोपियों लवली आनंद, प्रमोद सिंह व चंद्रहास राय के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी किया गया. 14 सितंबर को तामिला रिपोर्ट के संबंध में कारण-पृच्छा निर्गत किया गया.


पुलिस ने नहीं किया न्यायालय के आदेशों का ससमय अनुपालन


कारण-पृच्छा निर्गत करने के बावजूद संबंधित पुलिस पदाधिकारी द्वारा चार निर्धारित तिथि बीतने के बावजूद उनका तामिला नहीं किया गया तथा कारण-पृच्छा का जवाब भी समर्पित नहीं किया गया. इसके बाद विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) मानवेंद्र मिश्रा की अदालत ने माना कि इस केस में विलंब की मुख्य वजह पुलिस द्वारा न्यायालय से निर्गत आदेशों का ससमय अनुपालन नहीं करना है.


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