Caste Based Census: जातीय जनगणना पर BJP-JDU के बीच बढ़ रही 'तल्खी', सीपी ठाकुर की मांग को CM नीतीश ने बताया व्यक्तिगत राय
Caste Based Census: उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, " जातीय जनगणना को लेकर मतभेद जैसी कोई बात नहीं है. बीजेपी (BJP) चाहती है और पक्ष में भी है. कुछ लोग जरूर हैं जो इसके खिलाफ कभी-कभी बोल देते हैं."
पटना: साल 2021 में प्रस्तावित जनगणना जाति के आधार पर हो इस बाबत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने दस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बीते सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से मुलाकात की. प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद सूबे का सियासी पारा चढ़ गया है. बीजेपी (BJP) के कुछ नेता, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जातीय जनगणना के मुद्दे पर बातचीत करने के लिए मिलने को उचित नहीं बता रहे हैं. इधर, बिहार में जेडीयू (JDU) का सहयोगी होने के बावजूद बीजेपी नेताओं ने पूरे मामले पर चुप्पी साध ली है.
धीरे-धीरे बढ़ रही तल्खी
ऐसे में धीरे-धीरे जाति आधारित जनगणना (Caste Based Census) के मुद्दे पर बीजेपी और जेडीयू के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है. एक ओर जहां बिहार बीजेपी के नेता मुद्दे को केंद्रीय मुद्दा बताते हुए कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जातीय जनगणना कराने की मांग पर टिके हुए हैं और इससे संबंधित बीजेपी के किसी भी नेता के तर्क को व्यक्तिगत राय करार दे रहे हैं.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर (CP Thakur) ने बुधवार को कहा था कि जनगणना का आधार जाति नहीं बल्कि आर्थिक स्थिति होना चाहिए. प्रधानमंत्री पर जातीय जनगणना के लिए दबाव बनाना उचित नहीं है. हमारी स्पष्ट समझ है कि जनगणना अगर हो तो अमीरी और गरीबी के आधार पर हो. जातीय जनगणना समाज को बांटने की साजिश है.
गरीबी के आधार पर जनगणना हो
उन्होंने कहा था, " गरीब और अमीर हर जाति में होते हैं. लेकिन गरीबी की कोई जाति नहीं होती. गरीब 'गरीब' होता है. आवश्यकता है कि देश में जाति नहीं बल्कि गरीबी के आधार पर जनगणना हो. सीपी ठाकुर ने कहा बिहार में अभी बहुत काम करना बाकी है. जरूरत है बिहार में उद्योग, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे सेवाओं को सुदृढ़ करने का. इसलिए जनगणना के बजाय इन चीजों पर फोकस करने की जरूरत है."
इधर, गुरुवार को जब राजगीर पहुंचे नीतीश कुमार से इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा, " कौन क्या बयान देता है, उससे हमें क्या मतलब है. इन सबको क्या मालूम नहीं है कि विधानमंडल में सर्वसम्मति से बिल पारित किया गया था. अब व्यक्तिगत किसी की राय हो सकती है, ये अलग बात है. लोगों की सोच अलग हो सकती है, उसपर मैं क्या प्रतिक्रिया दूं. सारी पार्टी के लोगों ने एक साथ प्रस्ताव को पारित किया. पीएम से मिलने भी गए. तो इक्का दुक्का लोग बोलते रहते हैं, इसपर क्या प्रतिक्रिया देना है."
उपेंद्र कुशवाहा ने किया पलटवार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पहले उनके पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने सीपी ठाकुर के बयान पर प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा कि बीजेपी अगर जातीय जनगणना के पक्ष में अपना मत देती है तो कहीं से कोई नुकसान नहीं है, लेकिन बीजेपी के लोग क्या सोचते हैं और बाहर क्या बोलते हैं पता नहीं. अभी कुछ ही दिनों पहले सत्र खत्म हुआ है. उस सत्र में भी एक खास विषय पर बीजेपी के सांसद ने कहा था कि जातीय जनगणना होनी चाहिए.
कुशवाहा ने कहा, " जातीय जनगणना को लेकर मतभेद जैसी कोई बात नहीं है. बीजेपी (BJP) चाहती है और पक्ष में भी है. कुछ लोग जरूर हैं जो इसके खिलाफ कभी-कभी बोल देते हैं, लेकिन जो प्रस्ताव पारित हुआ उसमें बीजेपी ने भी सहमति जताई है और यह सर्वसम्मति से केंद्र को भेजा गया है."
बीजेपी प्रवक्ता ने कही ये बात
इधर, सहयोगी पार्टी के नेताओं के बयानों पर बीजेपी ने प्रतिक्रिया दी है. बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद (Nikhil Anand) ने ट्वीट कर कहा, "बीजेपी एकमात्र राजनीतिक दल है, जिसके पास आंतरिक लोकतंत्र और प्रवचन की संस्कृति है. बिहार और भारत में अधिकांश राजनीतिक दल या तो एक पारिवारिक जागीर हैं या स्वार्थी व्यक्ति की जेब संगठन हैं. बीजेपी को कोई भी नसीहत देना सूर्य को दीपक दिखाने जैसा है. उपदेश संतों के लिए उपयुक्त है."
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