पटना: साल 2021 में प्रस्तावित जनगणना को जाति के आधार पर कराए जाने की मांग बिहार में बड़ी मजबूती से उठाई जा रही है. इस मुद्दे पर सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्ष के पार्टियों की राय एक है. जबकि एनडीए का हिस्सा होने के बावजूद बीजेपी और जेडीयू राय नहीं मिल रही. बीजेपी नेता या तो जातीय जनगणना से जुड़े सवालों का जवाब देने से बचते नजर आते हैं या फिर इसे केंद्र सरकार का मुद्दा बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं. बीजेपी कोटा से मंत्री बने सभी नेताओं की यही प्रतिक्रिया है.


सीएम नीतीश कुमार की मांग सही 


हालांकि, अब सीएम नीतीश के समर्थन में उनके मंत्री सुमित सिंह उतरे हैं. बिहार सरकार में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का जिम्मा संभाल रहे निर्दलीय विधायक सुमित सिंह ने जातीय जनगणना कराने की मांग का समर्थन किया है. उन्होंने न केवल मांग का समर्थन किया, बल्कि इस मुद्दे पर सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ होने की बात कही है.


शुक्रवार को बिहार के हाजीपुर पहुंचे मंत्री सुमित सिंह से जब जातीय जनगणना को लेकर जारी सियासी उठापटक के संबंध में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, " हमारी राय हमारे नेता नीतीश कुमार से बिल्कुल मिलती है. यानी मैं बिल्कुल मुख्यमंत्री के समर्थन में हूं. जाति आधारित जनगणना होनी ही चाहिए."


सीएम नीतीश ने पीएम मोदी को लिखा है पत्र


मालूम हो कि केंद्र ने संसद में ये स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि जाति आधारित जनगणना नहीं कराई जाएगी. लेकिन, लंबे समय से जातीय जनगणना की मांग कर रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर बात करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर समय भी मांगा है. लेकिन मुख्यमंत्री को अब तक उनके पत्र का जवाब नहीं मिला है.


इसी क्रम में शुक्रवार को बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की है. नेता प्रतिपक्ष ने अपने पत्र में लिखा, " देश में विकास कार्यों को समुचित गति देने के लिए नीति निर्धारण, बजट आवंटन और टीम इंडिया में सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास नारे अंतर्गत सामूहिक लक्ष्य प्राप्त करने की अपेक्षित प्रगति और वास्तविक जनसंख्या की जानकारी के लिए भारत सरकार की ओर से हर 10 सालों में जनगणना कराई जाती है."


समुचित नीति निर्धारण हो नहीं पाएगा


तेजस्वी ने कहा, " जातीय जनगणना नहीं कराने की सरकार द्वारा संसद में लिखित सूचना दी गयी है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है. पिछड़े-अति पिछड़े वर्ग सालों से अपेक्षित प्रगति नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में अगर अब जातिगत जनगणना नहीं कराई जाएगी तो पिछड़ी/अति पिछड़ी जातियों की शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति का ना तो सही आकलन हो सकेगा, ना ही उनकी बेहतरी संबंधित समुचित नीति निर्धारण हो पाएगा और ना ही उनकी संख्या के अनुपात में बजट का आवंटन हो पाएगा."


यह भी पढ़ें -


मुखिया ने कोरोना गाइडलाइंस को दिखाया ठेंगा, ऑर्केस्ट्रा में बार-बालाओं के साथ लगाए ठुमके, वीडियो VIRAL


बिहार: कोरोना वैक्सीन पहले लगवाने के लिए आपस में भिड़े लोग, वैक्सीनेशन सेंटर पर जमकर की मारपीट