Caste Census: जातीय जनगणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, 20 जनवरी को इस पर होगी सुनवाई
Bihar News: जातीय जनगणना को लेकर बिहार में घमासान छिड़ा हुआ है. वहीं, अब ये मुद्दा पर सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.
पटना: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) बिहार में जाति आधारित जनगणना कराने के प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर 20 जनवरी को सुनवाई करने पर बृहस्पतिवार को सहमत हो गया. प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा द्वारा मामले का उल्लेख किए जाने के बाद मामले में सुनवाई के लिए तारीख दी.
जाति सर्वेक्षण रद्द करने को लेकर याचिका
शीर्ष अदालत ने पाया कि ऐसा ही एक मामला 20 जनवरी को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध है. न्यायालय एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें अधिकारियों को राज्य में जाति जनगणना करने से रोकने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता अखिलेश कुमार ने बिहार सरकार द्वारा राज्य में जाति सर्वेक्षण कराने के लिए जारी छह जून 2022 की अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि जनगणना का विषय संविधान की 7वीं अनुसूची की सूची-एक में आता है और केवल केंद्र के पास ही इस कवायद को आयोजित करने की शक्ति है.
'जनहित याचिका के बारे में पता चला तो मुझे आश्चर्य हुआ'
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करती है जो कानून के समक्ष समानता और कानून के तहत समान सुरक्षा प्रदान करता है. याचिका में कहा गया कि अधिसूचना अवैध, मनमानी, तर्कहीन और असंवैधानिक थी. वहीं, बता दें कि इस मामले को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य सरकार द्वारा कराई जा रही जाति आधारित गणना को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर किए जाने पर बुधवार को आश्चर्य व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि जब मुझे जनहित याचिका के बारे में पता चला तो मुझे आश्चर्य हुआ. किसी को सर्वेक्षण से कोई समस्या क्यों होनी चाहिए. यह समाज के सभी वर्गों के कल्याण को ध्यान में रखकर किया जा रहा है.