जातीय जनगणना: बैकफुट पर आने के मूड में नहीं नीतीश कुमार, बुलाएंगे ऑल पार्टी मीटिंग, कर सकते हैं बड़ा फैसला
नीतीश कुमार कहा, " जातीय जनगणना एक जायज मांग है और ये समय की मांग है. यह विकास समर्थक है और नीति निर्माताओं को पिछड़ी जातियों के लिए लक्षित कल्याणकारी नीतियां बनाने में मदद करेगा."
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) जातीय जनगणना (Caste Based Census) कराने के पक्ष में शुरू से ही हैं. इस बाबत 10 सदस्यीय शिष्ठ मंडल के साथ उन्होंने 23 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से मुलाकात की थी. इस दौरान उन्होंने जातीय जनगणना से होने वालों फायदों को रेखांकित करते हुए इस ओर विचार करने के लिए प्रधानमंत्री से गुहार लगाई थी. शिष्ठ मंडल के सदस्यों का भी यही कहना था. हालांकि, बीते दिनों केंद्र सरकार (Central Government) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक हलफनामा दायर किया, जिसमें ये स्पष्ट कहा गया कि केंद्र जातीय जनगणना कराने के पक्ष में नहीं है. ये सरकार का सोच समझ कर लिया गया फैसला है.
नीतीश कुमार ने दी प्रतिक्रिया
केंद्र सरकार के इस कदम के बाद सूबे के सियासी पारा चढ़ गया है. इस मुद्दे पर विपक्ष केंद्र सरकार को घेर रहा है. साथ ही उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जवाब का भी इंतजार था. इसी क्रम में रविवार को मुख्यमंत्री ने पूरे मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, " जातीय जनगणना एक जायज मांग है और ये समय की मांग है. यह विकास समर्थक है और नीति निर्माताओं को पिछड़ी जातियों के लिए लक्षित कल्याणकारी नीतियां बनाने में मदद करेगा. जातीय जनगणना होनी चाहिए. हम बिहार में इस मामले को लेकर सर्वदलीय बैठक करेंगे."
Caste census is a legitimate demand & is the need of the hour. It is pro-development & will help policymakers frame targetted welfare policies for backward castes. Caste census must take place. We'll hold an all-party meeting over this matter in Bihar: CM Nitish Kumar in Delhi pic.twitter.com/FKrP2MiW4B
— ANI (@ANI) September 26, 2021
गौरतलब है कि बीते दिनों पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा था, " जातीय जनगणना सभी के पक्ष में है. 90 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि ये हो. हमने पहले भी प्रस्ताव दिया था कि अगर केंद्र से नहीं होता तो राज्य सरकार अपने खर्चे से जातीय जनगणना कराए. इसलिए अभी इस पर हम कुछ बोलना नहीं चाहते. अभी मुख्यमंत्री को दो से तीन दिन समय दे रहे हैं कि वो इसपर कुछ सोच विचार कर लें क्योंकि हम लोग देखना चाहते हैं कि इस फैसले के बाद उनकी क्या भूमिका रहती है, वो क्या कहते हैं. हमें लगता है कि इसपर जल्द ही मुख्यमंत्री का बयान आना चाहिए. एकबार वे कुछ बोलते हैं, उसके बाद हम लोगों का अपना एक्शन प्लान शुरू होगा."
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