पटना: बिहार में जातीय जनगणना (Bihar Caste Census) चल रहा है. सात जनवरी से इसकी प्रक्रिया शुरू की गई है. घर घर जाकर अधिकारी गणना कर रहे. कास्ट सेंसस पर विपक्ष की ओर से हमले भी बोले जा रहे. इधर, तेजस्वी यादव(Tejashwi Yadav) और नीतीश कुमार इसे पॉजिटिव बताते हुए गरीबों के हित में बता रहे. सोमवार को तेजस्वी ने ट्वीट करते हुए फिर बताया है कि जातिगत गणना जरूरी क्यों है.
अधूरे आंकड़ों ने ही गरीबों को किया पीछे
तेजस्वी ने ट्वीट में कहा है कि बिना किसी साइंटिफिक प्रक्रिया के जुटाए सुपरफिशियल और कॉस्मेटिक आंकड़ों ने विकास और देश में व्याप्त सामाजिक और आर्थिक असामनता की खाई को पाटने की जगह उसे गहरा कर दिया है. अधूरे आंकड़ों ने ही गरीबों पर मुट्ठी भर लोगों के अन्यायपूर्ण प्रभुत्व को स्थापित किया है. यही कारण है कि जातीय जनगणना जरूरी है. तेजस्वी का कहने का मतलब है कि गलत और बिना तथ्य के आंकड़ें चल रहे हैं जिसके कारण गरीब तबके के लोग दबे हुए हैं. गरीबों की मदद और उनके उत्थान के लिए कास्ट सेंसस एक बेहद जरूरी प्रक्रिया है. इससे उनको मदद भी मिलेगी और निचले तबके के लोगों का विकास भी होगा.
कास्ट सेंसस पर नीतीश तेजस्वी हमेशा रहे साथ
बता दें कि कास्ट सेंसस सात जनवरी से चल रहा है. आज 10 दिन पूरे हो रहे हैं. अधिकारी डोर टू डोर जाकर लोगों से उनकी कास्ट की समीक्षा कर रहे. पहले चरण की गणना जनवरी तक चलेगी. वहीं दूसरे चरण की गणना अप्रैल में होगी. कास्ट सेंसस को लेकर नीतीश और तेजस्वी हमेशा से एक साथ रहे हैं. जब बिहार में एनडीए की सरकार थी तब भी मुख्यमंत्री ने उस वक्त नेता प्रतिपक्ष रहे तेजस्वी के साथ दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी. हालांकि गणना कराने को लेकर केंद्र कभी भी राजी नहीं हुआ. राज्य सरकार इसे अपने बलबूते करवा रही है. ये भी कारण है कि बीजेपी लगातार हमलावर रहती है.
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