'सिस्टम' की मार! केंद्र ने कहा- पीड़ित को जमीन दें, आदेश के बाद भी 12 साल से बिहार सरकार ‘खामोश’
सेना का जवान पवन कुमार सिलीगुड़ी में पोस्टेड है. कहा कि एक घटना के बाद सरकार के पूछे जाने पर उसने जमीन की मांग की थी, लेकिन आज तक उसे जमीन नहीं मिली. कई जगह वह दौड़ चुका.
पटनाः मुख्यमंत्री के जनता दरबार (Janata Darbar) में सोमवार को 195 आवेदकों की बात सुनी गई. जनता दरबार में अपनी समस्या को लेकर वैशाली का रहने वाला सेना का एक जवान पवन कुमार भी पहुंचा. हालांकि उसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) से मिलने नहीं दिया गया. आवेदन ले लिया गया और कहा गया कि जब नंबर आएगा तो उसे बुला लिया जाएगा.
दरअसल, सेना का जवान पवन कुमार सिलीगुड़ी में पोस्टेड है. उसने कहा कि वह वैशाली के बिदुपुर से आया है. 22 सितंबर 2009 को आतंकियों से मुठभेड़ में सात जवान शहीद हुए थे और तीन घायल हुए थे, जिसमें वह भी था. उस समय वह 13 राष्ट्रीय राइफल में था. उस घटना के बाद सरकार के पूछे जाने पर उसने जमीन की मांग की थी, लेकिन आज तक जमीन नहीं मिली.
जवान ने कहा- मांगे जा रहे थे पांच लाख रुपये
पवन ने कहा कि भारत सरकार ने बिहार सरकार को पत्र जारी कर डीएम वैशाली को आदेश दिया था. डीएम द्वारा जमीन को पांच डिसमिल कर कमिश्नरी को भेज दिया गया. वहां से कमिश्नर ने 2014 में ही भूमि सुधार विभाग को कागजात भेज दिया. वहां दो महीने तक मामला पेंडिंग रहा. इसके बाद वह मंत्री से मिला तो वहां से विशेष सचिव से मिलने के लिए कहा गया. वहां गया तो पांच लाख रुपये मांगे जा रहे थे. उसने मना किया तो यह लिख दिया कि सैनिक को गृह जिले में ही जमीन दी जाए, जबकि नियमावली में ऐसा कुछ नहीं है.
उसने कहा कि इसके बाद वह अवर मुख्य सचिव से मिला लेकिन वहां भी काम नहीं हुआ. पटना हाईकोर्ट में केस दायर किया गया जिसमें 13 महीने के बाद डिग्री मिली. हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार जमीन दी जाए. कहा कि एक सैनिक हूं और इस तरह का व्यवहार हो रहा है तो और लोगों के साथ क्या होता होगा.
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