Chandrashekhar Azad News: बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाला है. 2025 की तैयारी में हर राजनीतिक दल जुट गया है. आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष और सांसद चंद्रशेखर आजाद ने भी बिहार में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. रविवार (08 दिसंबर) को उन्होंने पटना में एक रैली को संबोधित किया था. माना जा रहा है कि महागठबंधन के साथ वो मैदान में उतरेंगे. सवाल है कि उनके मैदान में उतरने से किसका नुकसान होगा?
चंद्रशेखर आजाद ने रविवार को मंच से केंद्र की मोदी और बिहार की नीतीश सरकार को आड़े हाथों लिया था, लेकिन महागठबंधन के किसी घटक दल या उनके नेता पर हमला नहीं किया. चंद्रशेखर की रैली के बाद राष्ट्रीय जनता दल ने उनका स्वागत किया है. बिहार की अलग-अलग पार्टियों से समझिए कौन कैसे देख रहा है.
लोकतंत्र में सबको चुनाव लड़ने का अधिकार: आरजेडी
आरजेडी नेता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि चंद्रशेखर आजाद सांप्रदायिक ताकत और बीजेपी के खिलाफ लड़ रहे हैं. लोकतंत्र में सबको चुनाव लड़ने का अधिकार है. बिहार में चुनाव है और चुनाव के वक्त गठबंधन में कई राजनीतिक दल जुड़ते हैं. लालू यादव और तेजस्वी यादव की यूएसपी रही है दलितों और वंचितों के हक की लड़ाई लड़ना. आज जो दलित की बात कर रहे हैं वह लालू प्रसाद यादव को छोड़कर काम नहीं कर सकते.
जेडीयू के नेता इसे कैसे देख रहे?
चंद्रशेखर आजाद की बिहार में एंट्री को लेकर जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि नए राजनीतिक दल का गृह प्रवेश हो इस पर किसी को क्या आपत्ति होगी? चंद्रशेखर आजाद पार्लियामेंट के मेंबर हैं और उन्हें इस बात को समझना चाहिए कि बिहार में दलित झंडा फहराता है तो मुख्यमंत्री उसके सामने खड़े रहते हैं. दलितों के सशक्तिकरण के लिए, दलितों के लिए रोजगार सृजन में हम नंबर-1 हैं.
आगे कहा कि चिराग पासवान एनडीए में हैं. दूर-दूर तक दलित वोट खिसकने की कोई संभावना नहीं है. बिहार के दलित नारा लगाते हैं नीचे पासवान और ऊपर भगवान. दलितों ने उपचुनाव में शानदार वोट दिया. नीतीश कुमार ने दलितों के लिए काम किया और बाबा भीमराव आंबेडकर के सपनों को पूरा किया है. चंद्रशेखर का बिहार में चुनाव लड़ना या महागठबंधन के साथ आना इससे एनडीए में कोई असर नहीं पड़ेगा.
दलित वोट बैंक को साधने में चंद्रशेखर आजाद की पार्टी कितना कामयाब होगी यह तो वक्त है करेगा लेकिन एलजेपी रामविलास के नेता डॉ. विनीत सिंह ने का कहना है कि जहां तक बात दलित भाइयों की है तो वह किसी की निजी संपत्ति नहीं हैं. चिराग पासवान और हमारी पार्टी किसी एक जात नहीं पूरी जमात की बात करती है और काम करती है. हमारे नेता हर किसी के सुख-दुख के सहभागी हैं. उनको जनता के दिल से निकालना असंभव है.
राजनीतिक जानकार कैसे देखते हैं?
आजाद समाज पार्टी की बिहार में एंट्री को लेकर राजनीतिक जानकार धीरेंद्र कुमार का मानना है कि उत्तर प्रदेश में सपा या बसपा जो एक वर्ग विशेष की राजनीति करने के लिए जानी जाती है वो बिहार में जमीन तलाशने में अब तक नाकाम रही है. महागठबंधन की कोशिश है कि चिराग पासवान के सामने एक दलित चेहरा बिहार में खड़ा किया जाए.
बिहार में चर्चा है कि महागठबंधन चंद्रशेखर आजाद की पार्टी को चार से पांच सीट बिहार में दे सकती है. दलित वोट के साथ चिराग पासवान का तोड़ निकाल सकती है. बिहार में दलित वोट किसके साथ है यह तो 2025 के विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद पता चलेगा लेकिन इस वोट बैंक को साधने के लिए अब दोनों ही गठबंधन के नेता समीकरण बनाने में लग गए हैं.
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