बांका: बिहार के बांका जिले के कटोरिया प्रखंड के भोरसार पंचायत अंतर्गत पिपराडीह एक ऐसा गांव है, जहां आज तक किसी महिला ने छठ पर्व नहीं किया है. बल्कि यहां वर्षों से पुरुषों द्वारा पूरी नेम निष्ठा के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा धूमधाम से किया जाता रहा है. मालूम हो कि ये गांव कटोरिया एवं चांदन थाना के सीमा पर अवस्थित है. जानकारी के अनुसार भोरसार पंचायत में छठ व्रत करने वालों में पुरुषों की संख्या अधिक रहती है.
इस पंचायत की आबादी पांच हजार से भी अधिक है, जिसमें पिपराडीह गांव की आबादी एक हजार है. इस गांव में दर्जनों की संख्या में पुरुष छठ व्रत करते हैं, जिसमें गांव की महिलाएं भी मदद के लिए बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती हैं. वैसे तो कुछ वर्षों पहले तक गांव में महिलाओं के बदले पुरुष ही छठ पर्व करते थे. लेकिन, हाल के वर्षों में अब गांव की कुछ नई नवेली दुल्हनों ने भी यह व्रत शुरू कर दिया है, लेकिन इससे व्रत करने वाले पुरुषों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है.
बेटियों के लिए पुरुष रखते व्रत
जानकारी के अनुसार किसी समय इस गांव में बेटी पैदा होने पर उसकी मृत्यु हो जाती थी. इस कारण यहां लड़कियों की संख्या कम होने लगी तो ग्रामीण परेशान हो गए. ग्रामीणों ने वैद्य-हकीम का भी काफी सहारा लिया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. तब अंत में ग्रामीणों को एक प्रसिद्ध तांत्रिक ने सलाह दी कि गांव के पुरुष छठ पूजा करें तो यहां की बेटियां सुरक्षित रहेंगी और गांव में सुख-समृद्धि बनी रहेगी. कहा जाता है कि तब से गांव में यह परंपरा अनवरत जारी है. साथ ही गांव के लोग खुशहाली का जीवन जी रहा है.
पूर्वजों द्वारा शुरू किए गए परंपरा का हो रहा है पालन
छठ व्रत करने वालों का कहना है कि इस गांव में कई पीढ़ियों से पुरुष ही छठ व्रत करते आ रहे हैं. वे लोग अपने पूर्वजों द्वारा शुरू किए गए इस परंपरा का आज भी पालन कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे. व्रत करने वाले पुरुषों ने बताया कि पूर्वजों की इस परंपरा का निर्वाह करने में एक विशेष आध्यात्मिक अनुभूति होती है, जिसे शब्दों में नहीं बयां किया जा सकता है. गांव में पुरुषों के छठ व्रत करने से ही गांव का कल्याण और हर प्रकार के कष्टों से निदान होता है. यहां के पुरुष मानते हैं कि छठ पूजा करने से उनकी बेटियों के ऊपर कोई संकट नहीं आएगा.
परिजनों के निधन से कई पुरुष नहीं रख रहे हैं व्रत
कोराना महामारी के कारण गांव के कई घरों में परिजनों के निधन हो जाने की वजह से इस वर्ष गांव के कई पुरुष व्रत नहीं रख रहे हैं. मालूम हो घर में किसी सदस्य की मृत्यु होने की स्थिति में उस वर्ष छठ पूजा नहीं मनाया जाता है. होली के बाद शुद्धिकरण होने के बाद ही अगले वर्ष से छठ पूजन शुरू होता है.
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