पटना: बिहार में सबसे विशेष माने जाने वाला त्योहार छठ (Chhath Puja) लोक आस्था को समर्पित है. छठ को मन्नतों का लोक पर्व कहा जाता है. इसी बात से सिद्ध है कि इस पूजा में किसी भी तरह की गलती की कोई गुंजाइश नहीं होती. ये पूजा पूरी शुद्धता के साथ की जाती है. व्रती अपने संतान और घर की बरकत के लिए चार दिन लगातार उपवास रखती हैं. पूरे विधि विधान के साथ पूजा करती हैं. छठ पूजा के दौरान व्रती जल और सूर्य को जीवन के महत्वपूर्ण अवयव (Component) के रूप में साक्षी मानती हैं. सूर्य देवता की आराधना करती हैं. इस बार छठ पूजा का ये त्योहार 28 अक्टूबर से शुरू है. 31 अक्टूबर को ब्रह्म अर्घ्य देकर इसे संपन्न किया जाएगा. इस लेख में हम आपको बताएंगे इस महान आस्था के पर्व से जुड़ी कुछ खास बातें.


तन और मन की जबरदस्त शुद्धता का प्रतीक है ये त्योहार


इस पर्व को महिलाएं तन और मन से करती हैं. यही कारण है कि इस पर्व में जबरदस्त शुद्धता, साफ-सफाई, परंपरा को निभाने का खास ख्याल रखा जाता है. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में व्रती को लगातार उपवास करना होता है. व्रत करने वाली महिला को व्रती कहा जाता है. इस दौरान व्रती को भोजन के साथ-साथ बिस्तर का भी त्याग करना होता है. इस दौरान व्रती को चार दिनों तक जमीन पर सोना होता है. छठ में व्रती का एक अलग कमरा होता. इसमें जमीन पर एक चादर बिछाकर और एक कंबल के साथ व्रती सोती हैं. ये इस पर्व की एक अलग ही परंपरा है. 


एक बार व्रत करने के बाद सालों-साल पूजा करनी होती


छठ पूजा में व्रती बिना सिलाई किए हुए कपड़े पहनती हैं. जबकि इस त्योहार में शामिल होने वाले सभी लोग नए कपड़े पहनते हैं. छठ पूजा के दौरान महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनकर पूजा करते हैं. सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पण करते हैं. इस पूजा की सबसे विशेष बात है कि छठ का व्रत करने वाले व्रतियों (महिला या पुरुष) अगर एक बार व्रत कर लें तो उन्हें सालों साल यह व्रत करना होता है. व्रत तब तक करना होता है जब तक परिवार की आगे की पीढ़ी में कोई अन्य विवाहित महिला उनसे यह व्रत न ले लें. घर की सुख समृद्धि के लिए उपवास करे. पूजा के दौरान परंपराओं का खास ध्यान रखना होता. 


सूर्य देवता को अर्पण करने वाले पकवान पूरी तरह से शुद्ध होने चाहिए. एक अलग कमरे में नए चूल्हे पर पकवान को पकाया जाता है. इस दौरान खास ध्यान रहे कि कोई भी पकवान जूठा या खराब नहीं होना चाहिए. यदि जूठा पकवान सूर्य देवता को चढ़ जाता तो परिवार के लोगों को कई समस्या होने लगती है. छठ पूजा से पहले या इस दौरान यदि घर में किसी की मृत्यु हो जाए तो यह पूजा नहीं की जाती. यही कारण है कि इस पर्व में जबरदस्त परंपरा और शुद्धता का ख्याल रखना होता.


जीवन में जल और सूर्य के महत्व को साक्षी मानकर की जाती पूजा


छठ पूजा मनाने के पीछे ऐसी मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन है. बहन को ही प्रश्न करने के लिए यह पूजा की जाती है. पूजा के दौरान व्रती जीवन के जरूरी अवयवी में सूर्य और जल की महत्वता को मानते हुए आराधना करती हैं. इन्हें साक्षी मानकर भगवान सूर्य की आराधना तथा उनका धन्यवाद करते हुए मां गंगा, यमुना या किसी भी पवित्र नदी या पोखर के किनारे पूजा की जाती है. बता दें कि षष्ठी मैया छठ माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी है. इस व्रत को करने के लिए महिलाएं संतान की लंबी आयु का वरदान मिलता है. महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए ये पूजा करती हैं.


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