Chhath 2023: पटना सहित पूरे बिहार में सज गया है छठ का बाजार, सामानों से रोशन हुआ शहर, जानें सूप से लेकर दउरा तक का मूल्य
Chhath Puja: छठवर्ती सामर्थ्य के अनुसार खरीदारी करके भगवान भास्कर का अर्ध्य देते हैं. वहीं, छठ पर्व के लिए सामानों का बाजार राजधानी पटना में खूब देखने को मिल रहा है.
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पटना: लोक आस्था का महापर्व छठ (Chhath festival 2023) की शुरुआत 17 नवंबर की नहाए खाए से होगी और 20 नवंबर को छठ के पारण के साथ समाप्त होगा. नहाए-खाय, खरना, अस्ताचलगामी एवं उद्यगामी सूर्य को अर्ध्य देने का विधि विधान छठ पर्व में होता है. इसके लिए बहुत सारे सामान खरीदने पड़ते हैं. छठवर्ती सामर्थ्य के अनुसार खरीदारी करके भगवान भास्कर का अर्ध्य देते हैं, लेकिन छठ की बहुत सारी ऐसी सामान है जो अति महत्वपूर्ण है और गरीब हो या अमीर जो भी छठ करते हैं उन्हें यह सामान लेना अति आवश्यक माना जाता है.
70 से 100 रुपये के बीच बिक रहा है सूप
इनमें सबसे पहला समान सूप है जो कि सभी लोगों को जरूरत होती है बगैर सूप के भगवान सूर्य को अर्ध्य नहीं दिया जा सकता है. सूप में ही फल ठेकुआ एवं अन्य पूजन सामग्री रखकर अर्ध्य दिया जाता है. पटना के कई इलाकों में छठ पर्व के लिए सूप के बाजार सज कर तैयार हो चुका है. बिक्री के लिए सूप दुकानदार सूप को प्रतिदिन साफ करते हैं ताकि कहीं से कोई गंदगी न रहे. इस बार सूप की कीमत 70 रुपये से 100 रुपये के बीच बिक रहा है. मांग के अनुसार कीमतों में कमी और वृद्धि भी होती है.
मिट्टी के चूल्हे से सजे बाजार
सूप के साथ-साथ छठ में दउरा का भी विशेष महत्व है. दोनों टाइम अर्ध्य देने के लिए घाट तक सूप एवं अन्य प्रसाद को दउरा में ले जाया जाता है. छठवर्ती सामर्थ्य के अनुसार छोटा बड़ा दउरा खरीदते हैं. बाजार में 100 से 500 रुपये तक दौरा दउरा रहे हैं. वहीं, छठ पर्व में शुद्धता का विशेष महत्व माना जाता है और यही कारण है कि अधिकार छठवर्ती खरना का प्रसाद गुड़ का खीर और रोटी तथा अर्ध्य देने के लिए मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद बनाते हैं. पटना के बाजार में अधिकांश इलाकों में मिट्टी का चूल्हा देखा जा रहा है. मिट्टी के चूल्हे की कीमत 100 से 200 के बीच है.
छठ में कोसी का है खास महत्व
छठ पर्व में मिट्टी के चूल्हे पर जलावन के लिए आम की लकड़ी का ही उपयोग किया जाता है, इसलिए बाजार में आम की लकड़ी का भी बाजार सज कर तैयार है. पटना के अधिकांश इलाकों में आम की लकड़ी की खरीदारी जोरों पर की जा रही है. आम की लकड़ी 20 से 40 रुपये प्रति किलो तक बिक्री हो रही है. ज्यादा सूखा हुआ लकड़ी अधिक दामों में तो कम सूखा लकड़ी कम दाम में मिल रहे हैं. वहीं, मिथिलांचल में छठ के अर्ध्य के समय कोसी भराई का विशेष महत्व माना जाता है. कोसी भराई के लिए मिट्टी के हाथी की आवश्यकता होती है. पटना के बाजारों में मिट्टी की हाथी की बिक्री कोसी के लिए जोरों पर है. एक मिट्टी की हाथी की कीमत 200 से 500 रुपये के बीच है.
जोरों पर है बद्दी और आलता की बिक्री
सूर्य को अर्ध्य देने के लिए सूप पर फल, ठेकुआ के साथ-साथ बद्दी, आलता तथा पान फूल आदि की भी आवश्यक होती है. गरीब से अमीर सभी लोग इस सामान को सूप पर रखते हैं उसकी भी बिक्री जोरों पर है.
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