पटना: हिंदू मान्यताओं में सूरज को जल चढ़ाने की महिमा बताई गई है. वैदिक काल से ही उनकी उपासना होती आ रही. मान्यता है कि सूर्य देवता की कृपा दृष्टि से रोग और शोक दोनों खत्म हो जाते हैं. छठ (Chhath Puja 2022) का त्योहार विशेष रूप से सूर्य देवता को अर्पण है. छठ में सूर्य देवता को व्रती अर्घ्य चढ़ाते हैं. इससे मानसिक, शारीरिक और व्यावहारिक ज्ञान की प्राप्ति होती है.


तांबे के लोटे से अर्घ्य देते हैं


कार्तिक मास की सप्तमी और षष्ठी तिथि को शाम में छठी मैया और सुबह सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता. तांबे के लोटे से अर्घ्य दिया जाता है. इसमें पानी, दूध, चावल, गुड़ और गंगाजल का मिश्रण होता. इसे अर्घ्य के रूप में दोनों दिन चढ़ाते. मान्यता है कि इस दिन व्रती द्वारा उपवास में रहकर सूर्य देवता को अर्घ्य चढ़ाने से कई मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. 


स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति


सूर्य को मन से अर्घ्य देने पर अच्छे स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति होती है. इस दौरान पूरी विधि से पूजा की जाती और छठी मैया व सूर्य देवता से मनोकामना मांगी जाती है. कहा यह भी जाता है कि इस दौरान मांगी गई मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. सूर्य आत्मा का कारक है और पूर्वज-बुजुर्गों का कारक है. इससे आत्मा की भी शुद्धि होती है. 


घर में आती है बरकत बच्चे सदा रहते हैं खुश


जल चढ़ाने से स्वास्थ्य में शरीर की हड्डियां मजबूत रहेंगी. स्किन की समस्याएं दूर होंगी. छठ में जल चढ़ाने से आत्मविश्वास बढ़ता है. मान सम्मान और इज्जत बढ़ती. नौकरी में काफी लाभ होता. जो नि:संतान हैं उनके बच्चे होते और जिनके बच्चे हैं वह हमेशा सुखी रहेंगे. माता-पिता को भी काफी लाभ मिलेगा. घर में बरकत और शांति आएगी. इस तरह की कई मान्यताएं प्रचलित हैं.


मनुष्य की वाणी में सुधार आता और क्रोध शांत हो जाता


कहा जाता है कि इस दौरान जो भी सूर्य की आराधना करते हैं. उनको कभी भी संकट का सामना नहीं करना पड़ता है. कहा यह भी जाता है कि सूर्य देव को अर्घ्य चढ़ाने से मनुष्य की वाणी में सुधार आता है. बुद्धि तेज हो जाती है. जीवन के हर सुख-दुख को लेकर लोग काफी धैर्यवान हो जाते. माना जाता है कि अधिक क्रोधित लोगों को खास कर सूर्य देवता की पूजा करनी चाहिए. 


इससे उनको अपने क्रोध पर नियंत्रण पाने में काफी आसानी होती है. सूर्य देवता की कृपा दृष्टि उन पर बनी रहती है. यह भी कहा गया है कि सूर्य देव को जल चढ़ाने से व्यक्ति के मन से बुरी आदतें भी दूरी बनाने लगती हैं. लालच, मोह, छल-कपट इस सभी चीजों से व्यक्ति दूरी बना लेते हैं.


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