(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Chhath 2023: यूं ही नहीं आस्था का पर्याय बने शारदा सिन्हा के छठ गीत, शब्दों पर बेहद गंभीर, पढ़ें गीतकार का INTERVIEW
ABP News Interview: हृदय नारायण झा ने कहा कि शारदा सिन्हा से वो 12 वर्ष पहले से जुड़े हैं. शारदा सिन्हा के गीतों में एक-एक शब्द का अर्थ होता है. डिमांड अलग होती है.
पटना: लोक आस्था के महापर्व छठ की जब भी बात हो तो मन में शारदा सिन्हा के गीत बजने लगते हैं. लोकगीत की कोकिला कही जाने वाली शारदा सिन्हा को छठ गीतों के लिए सब जानते हैं लेकिन आज मिलिए उस शख्स से जिन्होंने उनके लिए गाने लिखे. शारदा सिन्हा के गीतकार हृदय नारायण झा से एबीपी न्यूज़ ने बातचीत की. हृदय नारायण झा ने बताया कि कैसे शारदा सिन्हा गीतों में शब्दों की डिमांड करती हैं.
हृदय नारायण झा मधुबनी जिले के रहने वाले हैं. पिछले 12 वर्षों से शारदा सिन्हा के लिए वो छठ के गीत लिख रहे हैं. शारदा सिन्हा के कई चर्चित गीतों को उन्होंने ही लिखा है. एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में हृदय नारायण झा ने शारदा सिन्हा के गीतों को गाकर ही नहीं बल्कि एक-एक शब्द और उसके भाव का अर्थ भी समझाया.
फुहर नहीं... एक-एक शब्द का होता है अर्थ
हृदय नारायण झा ने कहा कि शारदा सिन्हा से वो 12 वर्ष पहले से जुड़े हैं. शारदा सिन्हा ने ही कहा था वह उनके लिए गाने लिखें, लेकिन उनकी जो डिमांड होती है वह काफी अलग होती है. छठ के अन्य भोजपुरी या लोकगीत कई गायक फुहर की तरह गाते हैं, लेकिन शारदा सिन्हा के गीतों में एक-एक शब्द का अर्थ होता है. उन्होंने बताया कि शारदा सिन्हा के जो गीत होते हैं वह हमारे ग्रंथो में जो धार्मिक शब्द है उसका उपयोग होता है. उसे सरल भाषा में शारदा सिन्हा गाती हैं. कई शब्दों को वह खुद भी बताती हैं. कहा कि शारदा सिन्हा कठिन शब्दों को आसान भाषा में गाती हैं. मैं उनके शब्द और उनकी भाषा को समझ गया और उसी के अनुसार उनके लिए गीत लिखा. मेरे लिखे हुए उनके सभी गीत काफी हिट हुए हैं.
हृदय नारायण झा ने कहा कि उनके ज्यादातर गीत मैथिली, मगही और भोजपुरी में होते हैं. मैथिली भाषा में शब्दों का चयन सोच समझकर किया जाता है. दो साल पहले रिलीज हुए एक गाने के बोल 'सकल जगतरणी हे छठी मैया…' गुनगुनाया. कहा कि जिस तरह से लोग पसंद करते हैं, जिस तरह से लोग आस्था रखते हैं उस अनुसार उनके गीत गाए हुए हैं.
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