Chhath Puja 2024: चार दिनों तक चलने वाले महापर्व छठ पूजा की शुरुआत कल (मंगलवार) से होने जा रही है. हिंदू धर्म के लिए छठ पर्व काफी खास माना जाता है. वैसे तो देश के हर राज्यों में यहां तक कि विदेशों में भी लोग अब छठ करने लगे हैं लेकिन बिहार और यूपी के साथ झारखंड में इसे विशेष रूप से मनाया जाता है. कल पहला दिन नहाय-खाय है. छठ व्रती भगवान सूर्य की आराधना करके पूजा की शुरुआत करेंगे.
दूसरे दिन (बुधवार) खरना होगा. इस दिन उपवास रख कर छठ व्रती शाम में रोटी और गुड़ की खीर का प्रसाद ग्रहण करेंगे. इसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास करके गुरुवार की शाम में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. शुक्रवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत की समाप्ति की जाएगी.
छठ में रखा जाता है शुद्धता का विशेष ख्याल
छठ पर्व हिंदी के कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की चौथी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक मनाई जाती है. कल चौथी तिथि है और नहाय-खाय से यह पूजा हो जाएगी. छठ में शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है. इसमें साफ-सफाई रखना बहुत जरूरी है. नहाय-खाय के लिए छठ व्रती सबसे पहले सुबह गंगा या किसी दूसरी नदी में स्नान करते हैं. इसके बाद पूरी शुद्धता के साथ नहाय-खाय का प्रसाद बनाते हैं.
प्रसाद बनाने में ज्यादातर लोग लकड़ी की जलावन उपयोग करते हैं. क्योंकि लकड़ी को शुद्ध माना जाता है. बहुत लोग नहाय-खाय के दिन को कद्दू-भात का दिन भी कहते हैं. क्योंकि छठ के नहाय-खाय में कद्दू का विशेष महत्व माना जाता है. छठ व्रती अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी बनाकर प्रसाद ग्रहण करते हैं. कद्दू के अलावा नया आलू, फूल गोभी, अगस्त का फूल, टमाटर आदि का उपयोग भी किया जाता है. सब्जी के साथ-साथ पकोड़े भी बनाए जाते हैं. नहाय-खाय में सेंधा नमक का उपयोग किया जाता है.
छठ पर्व घर में भले एक या दो लोग करते हों लेकिन पूरे घर में उल्लास होता है. घर के सभी सदस्य बढ़-चढ़कर इसमें भाग लेते हैं. कई जगहों पर गंगाजल से ही प्रसाद बनाया जाता है. नहाय-खाय के दिन छठ व्रती प्रसाद बनाने के बाद भगवान भास्कर की आराधना करते हैं. इसके बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं. छठ व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के बाद घर के अन्य सदस्य और आसपास के लोगों खाते हैं.
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