Sharda Sinha News: शारदा सिन्हा के गांव में पसरा सन्नाटा, मैथिली ठाकुर बोलीं- 'छठ का पर्याय ही हैं बिहार कोकिला'
Sharda Sinha Health: लोक गायिका शारदा सिन्हा गंभीर रूप से बीमार हैं और दिल्ली एम्स में भर्ती हैं. उनके पैतृक गांव में दुख का माहौल है. गायिका मैथिली ठाकुर ने उनके ठीक होने की कामना की है.
Sharda Sinha News: लोक गायिका शारदा सिन्हा को गंभीर स्थिति में दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया है. छठ के माहौल में शारदा सिन्हा की नाजुक स्थिति की खबर सभी के लिए दुखदायी है. वहीं, सुपौल में उनके पैतृक गांव राघोपुर प्रखंड के हुलास में सन्नाटा पसरा हुआ है. गांव के लोग गहरे दुख और चिंता में हैं और वे उनके ठीक होने की प्रार्थना कर रहे हैं.
इस बीच गायिका मैथिली ठाकुर ने भी इस खबर पर दुख प्रकट किया है. उन्होंने कहा कि छठ उत्सव शुरू हो गया है और हम टीवी पर देख रहे हैं कि शारदा सिन्हा अस्पताल में हैं...यह बहुत दुखद है. हमलोग के लिए छठ का पर्यायवाची शब्द ही शारदा सिन्हा बन गई हैं. वो बिहार की सभी लड़कियों के लिए एक बड़ी प्रेरणा रही हैं. मैं भी बचपन से ही उनको सुन रही हूं और सीख रही हूं. आशा करती हूं और प्रार्थना करती हूं कि वह जल्द ही ठीक हो जाएं.
ठीक होने के लिए ग्रामीण कर रहे हैं लगातार प्रार्थना
शारदा सिन्हा के गांव वालों का कहना है कि उनको अपने मायके से गहरा जुड़ाव है. उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुलास में ही हुई थी और गांव से उनका रिश्ता भावनात्मक बना हुआ है. उनके बीमार होने की खबर से सभी बहुत चिंतित हैं और भगवान से उनकी दीर्घायु की प्रार्थना कर रहे हैं.
पैतृक आवास से सभी दिल्ली के लिए रवाना
बता दें कि शारदा सिन्हा का पैतृक निवास हुलास में स्थित है, जहां पुराने खपरैल का घर अब टूट चुका है, लेकिन उनके मायके की स्मृतियां आज भी इस स्थान पर जीवित हैं. अब परिसर में नए मकान बने हुए हैं, जहां उनका एक मात्र भाई निवास करता है. उनके अन्य भाई गांव से बाहर रहते हैं. शारदा सिन्हा के बीमार होने की खबर सुनकर घर के परिजन दिल्ली रवाना हो गए हैं.
वहीं, शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को सुपौल जिले के हुलास गांव में हुआ था. उनके पिता, सुखदेव ठाकुर शिक्षा विभाग में अधिकारी थे. शारदा सिन्हा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हुलास में ही पूरी कीं. 1974 में उन्होंने पहली बार भोजपुरी गीत गाया, लेकिन उनके जीवन में संघर्ष जारी रहा. 1978 में उनका छठ गीत 'उग हो सुरुज देव' रिकॉर्ड किया गया, जिसके बाद शारदा सिन्हा का नाम घर-घर में प्रसिद्ध हो गया. 1989 में उन्होंने बॉलीवुड में भी कदम रखा और 'कहे तोसे सजना तोहरे सजनियाट गीत ने खूब सराहना बटोरी.
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