पटना: गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या मामले में सजा पूरी कर और जेल मैनुअल में बदलाव के बाद बाहर निकले आनंद मोहन को लेकर एक तरफ सियासी गलियार में पारा चढ़ा है तो वहीं दूसरी ओर आईएएस के परिवार के पुराने जख्मों को कुरेदा गया है. जी कृष्णैया की पत्नी ने कहा कि चीफ मिनिस्टर फील्ड में जाकर काम नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसा निर्णय लेना चाहिए कि आईएएस और आईपीएस का मनोबल बढ़े.
दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में उमा कृष्णैया ने काफी कुछ कहा है. पत्नी ने कहा कि आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने व्यक्तिगत रूप से अपील नहीं की है बल्कि आईएएस अफसरों ने की है, लड़ाई वही लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि पति की मौत के बाद परिवार को चलाने के लिए उन्होंने लेक्चरर की नौकरी की थी. पति की मौत के बाद बिहार सरकार ने दोनों बेटियों को पांच-पांच लाख रुपये दिए थे. 14 लाख रुपये घर बनाने के लिए मिले थे. इसके अलावा कुछ नहीं मिला था.
'गरीब का बेटा आईएएस कैसे बन गया?'
उमा कृष्णैया ने यह भी कहा कि उन्हें पता नहीं था कि अनुकंपा पर नौकरी मिलेगी या नहीं. कहा कि उनके पति बीपीएल परिवार से आते थे. जब वे आईएएस बन गए तो जो भी मिलने आते थे वो देखकर दंग रह जाते थे कि आखिर इतने गरीब का बेटा आईएएस कैसे बन गया?
आनंद मोहन से मिलने का मतलब नहीं: उमा
एक सवाल पर कि आनंद मोहन का परिवार आपसे मिलना चाहता है इस पर उमा कृष्णैया ने कहा कि कोई मतलब नहीं है मिलने का. आनंद मोहन से लड़ने का न तो टाइम है न ही धैर्य. कहा कि आनंद मोहन जेल में रहें या बाहर रहें उन्हें क्या कमी है? उन्हें क्या फर्क पड़ता है? हम लड़ तो नहीं सकते हैं.
उमा कृष्णैया ने कहा कि उन्होंने 1986 में लव मैरिज की थी. हम दोनों एक ही कॉलेज में थे. जी कृष्णैया एमए इन इंग्लिश लिटरेचर और वे खुद केमिस्ट्री की छात्रा थीं. बड़ी बेटी निहारिका बैंक में मैनेजर है. छोटी बेटी एमए इन लिटरेचर है. वह वर्क फ्रॉम होम करती है.