ऑनलाइन गेम खेलने में व्यस्त है बच्चा तो पढ़ें यह पूरी खबर, गोपालगंज में पिता ने डांटा तो किशोरों ने उठाया ये कदम
रविवार को गोपालगंज में दो अलग-अलग जगहों से मामला सामने आया जहां पिता ने गेम खेलने से मना किया तो दो किशोरों ने फांसी लगा ली. हालांकि दोनों की जान बच गई है.
गोपालगंजः ऑनलाइन गेम का नशा अब बच्चों की जान पर बन आया है. रविवार को जिले में दो अलग-अलग जगहों पर पिता ने मोबाइल फोन पर गेम खेलने की अनुमति नहीं दी तो बेटे ने फांसी लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की. आनन-फानन में परिजन किशोर को सदर अस्पताल में लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टर ने दोनों की हालत चिंताजनक बताते हुए बेहतर इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया. घटना के बाद सूचना मिलने पर पुलिस ने पूरे मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी है.
केस-1 (अरना बाजार में पहली घटना)
रविवार को पहली घटना उचकागांव थाना क्षेत्र के अरना बाजार से आई. बताया जा रहा है कि बलिस्टर साह का 12 वर्षीय पुत्र ऑनलाइन गेम खेल रहा था. झानगुरु पिता की डांट फटकार पर फांसी लगा ली. इसके बाद परिजन उसे बेहोशी की हालत में लेकर अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टर ने हालत गंभीर देखकर बेहतर इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया.
केस-2 (नकवा टोला में दूसरी घटना)
रविवार को दूसरी घटना मांझा थाने के नकवा टोला रामनगर से सामने आई. यहां पर लोटन चौधरी का पुत्र 14 वर्षीय पुत्र साजन कुमार ने पिता की डांट के बाद कपड़े का फंदा बनाकर फांसी लगा ली. घर में फंदे पर झुलता देख किशोर को परिजन सदर अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टर ने स्थिति चिंताजनक बताते हुए बेहतर इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया.
ऑनलाइन गेम के कारण बढ़ रहे मानसिक रोगी
हाल ही में एक शोध से पता चला है कि ऑनलाइन गेम के कारण युवा मानसिक रोग के शिकार हो रहे हैं. सदर अस्पताल में कुछ दिन पहले माता-पिता अपने बेटे का इलाज कराने पहुंचे थे. वहां पता चला कि युवक ऑनलाइन गेम खेलता है. रात-रात भर सोता नहीं है. दिन में कोई काम नहीं करता. ऑनलाइन गेम के कारण उसकी जिंदगी बुरी तरह प्रभावित हो गई. बात-बात पर गुस्सा हो जाता था. इस तरह एक नहीं, बल्कि सात से आठ केस सामने आ चुके हैं. गोपालगंज में जिस बच्चों ने रविवार को फांसी लगाई, वो भी चुप-चुप रहने लगा था.
रात भर नहीं सोता बेटा तो चेक करें स्मार्ट फोन
स्वास्थ्य विभाग के मनोचिकित्सक डॉ. एसके प्रसाद का कहना है कि माता-पिता अपने बच्चों पर नजर रखें. उन्हें समझाएं कि जिंदगी वीडियो गेम नहीं है. अगर आपका बेटा रातभर नहीं सोता तो उसका स्मार्ट फोन चेक करें. छोटी सी बात पर नाराज होता है या चिढ़ता है तो समझ जाइए कि वो मानसिक रूप से कहीं और व्यस्त है. हो सकता है कि वो मानसिक रोग की चपेट में आ रहा हो.
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