गोपालगंज में अब वायरल निमोनिया के शिकार हो रहे छोटे बच्चे, सांस लेने में आ रही दिक्कत, बरतें ये सावधानी
दो दिनों में निजी व सरकारी अस्पतालों में वायरल निमोनिया से 70 बच्चे मिले बीमार.पिछले सप्ताह जांच में मिले थे डेंगू, टायफाइड, एRएस और डायरिया से बीमार बच्चे.
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गोपालगंजः बिहार के गोपालगंज में वायरल फीवर (Viral Fever) का कहर नहीं थम रहा है. तेज बारिश और उसके बाद तेज धूप से बच्चों के बीमार होने का सिलसिला जारी है. डेंगू, मलेरिया, एईएस, डायरिया व टायफाइड से बच्चों के बीमार होने की पुष्टि होने के बाद अब वायरल निमोनिया का कहर शुरू हो गया है. पिछले दो दिनों में सरकारी व निजी क्लिनिक में वायरल निमोनिया के 70 से अधिक बच्चे बीमार मिले हैं. बीमार बच्चों की उम्र एक माह से लेकर पांच साल तक की है.
स्वास्थ्य विभाग के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ अग्रवाल के अनुसार वायरल निमोनिया से पीड़ित बच्चों में सांस लेने में दिक्कत और हांफने की शिकायत अधिक है. ऐसे बच्चों को मेडिसिन के साथ-साथ भाप देने की अधिक जरूरत है.
कहा कि भाप देने से बच्चों में हाफने की तकलीफ कम होगी और संक्रमण धीरे-धीरे खत्म होगा. डॉक्टर के मुताबिक इस मौसम में अक्सर बच्चे बीमार होते हैं. घराबने की जरूरत नहीं है. इधर, सदर अस्पताल के इमरजेंसी व ओपीडी में बच्चों को भाप देने की कोई इंतजाम नहीं है.
यह रखें ध्यान
- बच्चों को पानी पिलाते रहें.
- खाना ताजा और गर्म दें.
- ताजे फल और मौसमी खिलाएं.
- चिकित्सक की बताई दवा देते रहें.
- जूस की जगह फल दें.
यह हो सकती है समस्या
- नींद ठीक से नहीं आना.
- कान में दर्द, खराब या धुंधला दिखना.
- कुछ मामलों में थकान पांच माह तक रह सकती है.
- जोड़ों, जांघों, सिर और पैरों में दर्ज हो सकता है.
- अचानक से मूड बदलना या स्पर्श या गंध की कमी.
वायरल फीवर होने पर यह करें
- गंदे कपड़े पहनकर बच्चे के पास न जाएं.
- यदि बच्चा मास्क नहीं पहनता है तो खुद पहनें.
- सफाई का ध्यान रखें.
- घर पर किसी अन्य व्यक्तियों को न बुलाएं.
समय पर इलाज नहीं होने से निमोनिया
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ अग्रवाल का कहना है कि बच्चों को सर्दी, खांसी एवं हल्का बुखार (वायरल बुखार) होने पर अभिभावक बच्चों का तुरंत इलाज नहीं कराते हैं. वायरल बुखार से ग्रस्त बच्चों का ससमय सही इलाज नहीं होने से नाक के सहारे इन्फेक्शन बच्चा के फेफड़ा में पहुंच जाता है. फेफड़ा में इन्फेक्शन होते ही बच्चा निमोनिया का शिकार हो जाता है. सही इलाज नहीं होने से निमोनिया से बच्चों की जान भी जा सकती है.
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