Political News: पिता रामविलास की मूर्ति को प्रणाम कर बंगले से निकले चिराग, मां-बहन के साथ अब नानी के घर में रहेंगे
चिराग ने कहा, " आज ना कल हमें बंगला खाली करना ही था. लेकिन जो तरीका अपनाया वो मुझे सही नहीं लगा. खैर मेरे साथ मेरे पिता और नेता की बहुत सी यादें हैं. इससे बढ़कर कुछ पाने की इच्छा नहीं है."
पटना: लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के संस्थापक राम विलास पासवान (Ramvilas Paswan) को आवंटित बंगला केंद्र सरकार ने आखिरकार खाली करा दिया है. दिल्ली के 12 जनपथ स्थित इस बंगले में केंद्रीय मंत्री के निधन के बाद से उनके बेटे सह जमुई सांसद चिराग पासवान (Chirag Paswamn) अपनी मां और बहन के साथ रह रहे थे. लेकिन बंगला मौजूदा केंद्रीय रेलवे मंत्री को आवंटित कर दिया गया था. इसलिए सरकार चिराग से बार-बार बंगला खाली करने को कह रही थी. लेकिन चिराग हठ पर अड़े हुए थे. ऐसे में बुधवार को विभागीय टीम पहुंची और नेता से बंगला खाली कराया.
नम आंखों से बाहर निकले नेता
इधर, घर का सारा सामान खाली करने के बाद गुरुवार को चिराग अपने परिजनों के साथ बंगले से निकले. अब वे दिल्ली में अपनी नानी के घर में रहेंगे. निकलने से पहले उन्होंने बंगला परिसर में लगे अपने पिता की मूर्ति के खाली पैर प्रणाम किया और फिर उनको मिला पद्मश्री हाथ में लेकर रवाना हो गए. इस दौरान उनकी आंखें नम थीं. साथ ही वहां मौजूद पार्टी कार्यकर्ता भी भावुक दिखे.
इस बात से चिराग हैं निराश
बंगला खाली कर जा रहे चिराग ने पत्रकारों से कहा कि हमें जब तक रहने की इजाजत मिली, हम बंगले में रहे. स्थायी तौर पर बंगले में बस जाने की इच्छा नहीं थी. मेरे पिता की इस बंगले से बहुत सी यादें जुड़ी हैं. लेकिन एक कानूनी प्रक्रिया होती है, जिसका मैं और मेरा पूरा परिवार सम्मान करता है. जो चीज आपकी है ही नहीं उसे आप जबरन अपने पास नहीं रख सकते हैं. लेकिन जिस तरह से बंगला खाली कराया गया, उससे मैं जरूर निराश हूं.
चिराग ने कहा, " चूंकि में दूसरी बार सांसद हूं, ऐसे में मुझे उम्मीद थी कि मुझे विकल्प के तौर पर कहीं और रहने की जगह दी जाएगी. अभी ऐसी स्थिति है कि मेरे पास नानी के घर में रहने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है. पूरे परिवार के साथ मैं फिलहाल वहीं जा रहा हूं. लेकिन दुख इस बात का है कि इस घर में 100 के करीब अन्य लोग भी रहते थे, जिनकी जिंदगी इस फैसले की वजह से अस्त-व्यस्त हो गई है."
जमुई सांसद ने भावुक होते हुए कहा, " आज ना कल हमें बंगला खाली करना ही था. लेकिन जो तरीका अपनाया वो मुझे सही नहीं लगा. खैर मेरे साथ मेरे पिता और नेता की बहुत सी यादें हैं. इससे बढ़कर मुझे जिंदगी में ना कुछ चाहिए. ना कुछ पाने की इच्छा है."
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