पटना: केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) ने हाल ही में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जमुई से सांसद चिराग पासवान (Chirag Paswan) के दोस्त सौरभ पांडेय पर निशाना साधा था. केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि चिराग ने सौरभ के कारण अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया था इस पर 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' के मॉडल को बनाने वाले सौरभ पांडेय ने पहली बार पारस पर पलटवार किया है. बुधवार को बयान जारी कर जबरदस्त हमला बोला.
सौरभ ने कहा कि पशुपति पारस अपनी राजनैतिक हैसियत बनाए रखने के लिए उन पर और चिराग पासवान पर कुछ न कुछ टिप्पणी करते रहते हैं. आगे कहा कि पशुपति पारस की नीतीश कुमार से नजदीकी के कारण प्रदेश अध्यक्ष से रामविलास पासवान ने हटाया था. 2015 के चुनाव पशुपति पारस ने नीतीश कुमार के कहने पर टिकट दिया था जिससे एनडीए को नुकसान और एलजेपी को मात्र दो सीट मिली थी. इस जानकारी के कारण हमेशा रामविलास पासवान अपने भाई पशुपति पारस से दुखी रहते थे.
'कई महीनों तक नहीं आए थे 12 जनपथ'
पशुपति पर हमला करते हुए सौरभ ने कहा कि 2010 की तरह 2015 में सभी सीटों को नीतीश कुमार के कहने पर पारस ने उनके दलों के प्रत्याशियों को लाभ दिलवाने के लिए बेच दिया था. इसके बाद रामविलास पासवान ने इन्हें प्रदेश के टिकट वितरण से हटाने का मन बना लिया था. बाद में जब बिहार फर्स्ट की तैयारी शुरू हुई उसके पहले इनको प्रदेश अध्यक्ष से हटा दिया गया. इस पर पारस और राम विलास पासवान में कई महीनों तक बात बंद हो गई. 12 जनपथ पर आना छोड़ दिया था.
भाई को पशुपति ने दिया धोखा
सौरभ ने अपने बयान में कहा कि पशुपति कुमार पारस पूरी जिंदगी नीतीश कुमार के एजेंट के रूप में रहे हैं और पार्टी को नुकसान के साथ भाई को धोखा दिया है. बिहार में पार्टी का टिकट पूर्व में बिकता रहा है. यह सामान्य रूप से सभी बिहारवासियों में चर्चा रही है जिससे न सिर्फ रामविलास पासवान चिंतित रहते थे बल्कि चिराग भी विचलित रहे हैं.
बिहार विधान सभा 2020 से पूर्व 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' का विरोध पारस नीतीश कुमार के इशारे पर चिराग का विरोध करते थे. इसके चलते रामविलास पासवान पशुपति पारस से इस कदर नाराज थे कि वह पारस को पार्टी से जुलाई-अगस्त महीने में निकालना चाहते थे लेकिन चिराग की माता जी के कारण वह ऐसा नहीं कर सके. उनकी माता जी ने बीच-बचाव कर मामले को संभाला था.
सौरभ पांडेय ने बेबाकी से अपनी बात कहते हुए आगे कहा कि रामविलास पासवान के गुस्से को देखते हुए पशुपति पारस ने अस्पताल में जाकर माफी मांगी थी जहां योगेंद्र पासवान भी थे. आज यह जब रामविलास पासवान का नाम भी अपने मुंह से लेते हैं तो मुझे इनसे घृणा होती है. आज भी वह नीतीश कुमार के एजेंट के रूप में भारत सरकार में मंत्री हैं. मंत्री पद से हटते ही प्रधानमंत्री को भी भला बुरा बोलने से यह पीछे नहीं हटेंगे. अंत में सौरभ ने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि आगे से पशुपति पारस उन पर बेवजह कुछ नहीं बोलेंगे.
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