Exclusive: चिराग पासवान के दोस्त ने खोला '3.5 करोड़' वाला राज, पशुपति पारस का 2020 वाला 'प्लान' भी OUT!
Chirag Paswan News: केंद्रीय मंत्री और चिराग पासवान के चाचा अक्सर बयान में सौरभ पांडेय का नाम लेते हैं. चिराग के दोस्त सौरभ पांडेय ने अब कई खुलासे किए हैं.
पटना: लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) पर उनके चाचा लगातार हमलावर रहते हैं. सीधा कह दिया है कि चिराग से कोई रिश्ता नहीं है. चिराग के चाचा पशुपति पारस आए दिन उनके दोस्त सौरभ पांडेय का नाम लेते हैं और कहते हैं कि उसी के बहकावे में आकर पार्टी में टूट हुई है. हाल ही में पशुपति पारस ने अपने बयान में फिर सौरभ का नाम लिया था. इस पर एबीपी न्यूज़ से सौरभ पांडेय ने खास बात की.
यह जान लें कि सौरभ पांडेय मूल रूप से उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं, लेकिन चिराग के सबसे खास मित्रों में से एक हैं. इस दौरान सौरभ पांडेय ने बातचीत में न सिर्फ पशुपति पारस के कारनामों का खुलासा किया बल्कि साढ़े तीन करोड़ रुपये वाला राज भी खोला. कहा कि चिराग ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मात्र साढ़े तीन करोड़ खर्च कर 80 से 43 सीट पर ला दिया.
सौरभ पांडेय ने कहा कि 2020 में उन्होंने 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' की डॉक्यूमेंट्री बनाई और उसके अनुसार चिराग पासवान को चलने के लिए कहा. इसका नतीजा है कि आज चिराग पासवान ने भले ही बिहार में सीट न लाया हो लेकिन युवाओं के चहेते बने हुए हैं. कहा कि जब चिराग पासवान ने यह निर्णय लिया कि वह अकेले चुनाव लड़ेंगे तो उस वक्त उनके चाचा पशुपति पारस गुस्सा भी हुए थे. उस वक्त चिराग पासवान के पास पैसे नहीं थे. पार्टी फंड में मात्र तीन करोड़ से साढ़े तीन करोड़ रुपये थे. उसी रुपये में चिराग पासवान ने चुनाव लड़ा था. नीतीश को 80 सीट से 43 पर लाकर खड़ा कर दिया. यह सबसे बड़ी काबिलियत चिराग पासवान की थी.
'पशुपति पारस टिकट बेचना चाहते थे'
सौरभ पांडेय ने पशुपति पारस के 2020 का प्लान आउट कर दिया. कहा कि रामविलास पासवान जब अंतिम दौर से गुजर रहे थे तो उस वक्त अस्पताल में ही पशुपति पारस पर वे काफी गुस्सा हुए थे. पार्टी से उन्हें निकाल देने की बात कह दी थी, लेकिन चिराग पासवान और उनकी मां ने यही कहा था कि घर की बात है घर में रहने दीजिए. पशुपति पारस चिराग से सिर्फ इस कारण गुस्सा हैं कि 2020 में उन्हें पार्टी का टिकट बेचने का मौका नहीं मिला क्योंकि रामविलास पासवान के समय में टिकट देने का काम उन्हीं का रहता था.
तारीफ करते हुए आगे सौरभ ने कहा कि चिराग आज रामविलास पासवान से भी ऊपर उठ चुके हैं. उस वक्त जब रामविलास पासवान किसी जिले में जाते थे तो 15 से 20 लोग बहुत मुश्किल से पहुंचते थे, लेकिन आज चिराग पासवान अकेले कहीं जाते हैं तो उन्हें देखने वालों की भीड़ लग जाती है.
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