Chirag Paswan News: केंद्रीय मंत्री और एलजेपी रामविलास के प्रमुख चिराग पासवान की ओर से कई मुद्दों पर उनके स्टैंड को देखकर ऐसा लग रहा है कि उन्होंने मोदी सरकार की टेंशन बढ़ा दी है. एनडीए में तो वो हैं लेकिन कई मुद्दों पर सरकार से उनका स्टैंड अलग है. वह केंद्र सरकार के स्टैंड से असहमति जता रहे हैं. अलग रुख अपनाए हुए हैं. विरोधियों के सुर में सुर मिला रहे हैं. 


वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर चिराग पासवान का सरकार से उलट रुख रहा. वहीं जातीय गणना पर विपक्ष की मांग का समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि जातीय गणना होनी चाहिए. राहुल गांधी एवं अखिलेश यादव ने जातीय गणना की मांग उठाई थी. विपक्ष के अलावा चिराग ने लेटरल एंट्री के केंद्र सरकार के फैसले का भी विरोध किया. आरक्षण पर भी उनका सहयोगी दलों से अलग स्टैंड दिखा. 


ऐसा क्यों कर रहे चिराग पासवान?


वहीं दूसरी ओर एससी-एसटी के आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्रीमी लेयर को लेकर आया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन जाति समूहों के लिए निर्धारित कोटा में ही कोटा देकर समूह ये पीछे छूट गई जातियों को मौका देना चाहिए. यानी एससी-एसटी में क्रीमीलेयर तय करना चाहिए. चिराग ने कोर्ट के फैसले पर नाराजगी व्यक्त की थी. ऐसे में सवाल है कि चिराग पासवान ऐसा क्यों कर रहे हैं? चिराग के मन में क्या चल रहा है यह पहेली बन गई है.


सवाल उठ रहा है कि क्या वोटों का समीकरण चिराग को एनडीए से अलग लाइन लेने पर मजबूर कर रहा है? चिराग के कोर वोटर पासवान हैं. बिहार में पासवान वोटर्स करीब पांच फीसद हैं. ऐसे में सवाल यह भी है कि क्या चिराग को लग रहा है कि बिना किसी दूसरे वर्ग के समर्थन के राजनीति में कुछ बड़ा कर पाना संभव नहीं है? अलग रुख अपनाने के पीछे कुछ और कारण तो नहीं? 


सवाल तो यह भी है कि लोकसभा चुनाव में 100% स्ट्राइक रेट रखने वाली पार्टी एलजेपी रामविलास के चीफ चिराग पासवान क्या भारी भरकम मंत्रालय चाहते हैं? क्या झारखंड विधानसभा चुनाव व अगले साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में अधिक सीटें चाहिए इसलिए क्या प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे हैं? रांची में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में चिराग ने कहा कि 28 सीटों पर लड़ेंगे.


बीजेपी ने की चिराग को संदेश देने की कोशिश


उधर बीजेपी की चिराग पर पैनी नजर है. बीजेपी ने चिराग को कंट्रोल में रखने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. चिराग के चाचा पशुपति पारस ने 26 अगस्त को अमित शाह से मुलाकात की है. इससे पहले बिहार बीजेपी के अध्यक्ष पशुपति पारस से मिले हैं. पारस चिराग के धुर विरोधी हैं. भले बीजेपी खुलकर न बोले, लेकिन चिराग को सीधा संदेश देने की कोशिश कर रही है. 


एलजेपी रामविलास के प्रवक्ता प्रो. विनीत सिंह ने कहा कि चिराग पासवान का कुछ मामलों पर रुख स्पष्ट है. जन सरोकार का जो भी मुद्दा हो विशेषकर उस समाज का जो हाशिये पर है, जो समाज छुआछूत से आज भी ग्रसित है उनके मुद्दों को हम लोग मुखरता से उठाते रहते हैं. उदाहरण स्वरूप एससी-एसटी में क्रीमी लेयर हो, वक्फ बोर्ड संशोधन बिल, लेटरल एंट्री या जातीय गणना की बात हो, इन मुद्दों को प्रभावी तरीके से हम लोगों ने एनडीए के मंच पर उठाया है. एनडीए लोकतांत्रिक गठबंधन है. हम लोग उसके महत्वपूर्ण घटक दल हैं. हमें अधिकार है कि हम अपनी चिंताओं को एनडीए के मंच पर साझा करें. 


आरजेडी का दावा- सब कुछ ऑल इज वेल नहीं


उधर आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि केंद्र में एनडीए की सरकार है और एनडीए में सब कुछ ऑल इज वेल नहीं है. चिराग पासवान केंद्र सरकार के मुद्दे से लगातार अपनी अलग राय रख रहे हैं. झारखंड में भी अलग चुनाव लड़ने का ताल ठोका है. क्षेत्रीय दलों को एनडीए में तरजीह नहीं दी जा रही है. चिराग के चाचा पशुपति पारस ने अमित शाह से मुलाकात की है. अब बीजेपी चिराग को आंख दिखा रही है. एनडीए की नाव डूबने वाली है. 


वहीं बीजेपी के प्रवक्ता कुंतल कृष्ण ने कहा कि चिराग हमारे साथी हैं. केंद्र सरकार में मंत्री हैं. इन सबके बाद भी अगर किसी विशेष मुद्दे पर बीजेपी या केंद्र सरकार से चिराग की असहमति है तो उनकी बात पूरी धैर्य के साथ सुनी जाएगी. यही एनडीए की खासियत है. एनडीए में कांग्रेस और आरजेडी की परिवारवाद व तानाशाही नहीं है कि राजकुमार और तानाशाह ने जो कह दिया वही होगा.


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