Chirag Paswan: केंद्रीय मंत्री और एलजेपी (आर) अध्यक्ष चिराग पासवान ने पटना के एक व्हीलर रोड स्थित कार्यालय में बुधवार को पूजा पाठ कर प्रवेश किया. इस दौरान उनकी मां रीना पासवान के साथ परिवार और पार्टी के पदाधिकारी भी मौजूद रहे. भारतीय राजनीति में जब भी सत्तापलट की कहानियां सुनाई जाएंगी तब तब चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच हुए तख्तापल्ट का ज़िक्र होगा. राजधानी पटना में 1 व्हीलर रोड स्थित ये बंगला इसका साक्षी है.
28 नवंबर 2000 का वो दिन था जब दिवंगत नेता रामविलास पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) बनाई. रामविलास पासवान ने तब नारा दिया था कि "मैं उस घर में दीया जलाने चला हूं, जहां सदियों से अंधेरा रहा है" पार्टी गठन के ठीक बीस साल बाद 8 अक्टूबर 2020 को रामविलास पासवान का निधन हुआ. उसके बाद चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस यानि चाचा और भतीजा एक नहीं हो पाए.
पार्टी में हुई टूट
13 जून 2021 को चिराग पासवान को पार्टी टूट की खबर मिली और 14 जून 2021 को रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी टूट गई. चिराग पासवान को दिल्ली में अपने चाचा पशुपति कुमार पारस के बंगले के गेट पर 15 मिनट तक अपनी कार में बैठकर इंतजार करना पड़ा. इस दौरान मीडिया भी सारा तामाशा देखता रहा. बंद दरवाजे पर दस्तक देने के बाद आखिरकार उन्हें अंदर जाने की अनुमति मिली थी. उन दिनों को चिराग पासवान राजनीति में अपनी गर्दिश के दिनों के तौर पर देखते होंगे.
पार्टी के 5 सांसद रहे पशुपति कुमार पारस, चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा देवी, चंदन सिंह और चिराग के चचेरे भाई प्रिंस राज ने बगावत की. इन सभी ने मिलकर राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को सभी पदों से हटा दिया. चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस को अपना नेता चुन लिया.
पांच अक्टूबर 2021 को चिराग पासवान के नाम पर भारत निर्वाचन आयोग सचिवालय की चिट्ठी आई जिसमें ये कहा गया कि चुनाव आयोग ने चिराग के हिस्से की एलजेपी को एलजेपी (आर) नाम और चुनाव चिह्न हेलीकॉप्टर दिया है. ये इसलिए हुआ क्योंकि 30 अक्टूबर 2021 को बिहार की दो विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में चिराग पासवान अपने प्रत्याशी उतारना चाहते थे. तब से आज तक पार्टी दो हिस्से में बंटने की वजह से पार्टी का चुनाव चिन्ह 'बंगला' भी फ्रीज़ है.
चिराग पासवान का रहा हौसला कायम
7 जुलाई 2021 का वो दिन आया जब पशुपति कुमार पारस केंद्रीय मंत्री बन गए. चिराग पासवान केंद्र से लेकर राज्य की सत्ता से दरकिनार कर दिए गए. पिता रामविलास पासवान के नाम पर मिला बंगला भी उनसे खाली करा लिया गया. चिराग पूरी तरह से बैकफुट पर आ गए. जिसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (आर) को एनडीए गठबंधन के तहत 5 सीटें मिली. चुनाव हुआ और चिराग ने सभी 5 सीटों पर जीत दर्ज की. उसके बाद मोदी 3.0 की कैबिनेट में चिराग को मंत्री बनाया गया. पशुपति पारस एनडीए में आधिकारिक तौर पर एक भी सीटें नहीं मिलने से अलग थलग पड़ गए. बिहार में हुए उपचुनाव में भी उन्हें एक भी सीट नहीं दी गई.
उसके बाद पारस को पार्टी का पुराना कार्यालय यानि 1 व्हीलर रोड का बंगला खाली करने का नोटिस भी भेजा गया. जिसके कई नोटिस के बाद आख़िरकार 15 नवंबर को चिराग पासवान को पुराना दफ़्तर आधिकारिक तौर पर आवंटित कर दिया गया.
चिराग पासवान का बिहार में बड़ा दांव
बुधवार को चिराग ने एक्स पर पोस्ट करने हुए लिखा कि "जब नीति और नियत सही हो तो परिणाम भी सकारात्मक आते हैं. मैंने अपनी मां से वादा किया था कि मैं वो हर चीज वापस लौटाऊंगा जो मुझसे छीनी गई थी."
वहीं, चिराग पासवान ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ये वो कार्यालय था जहां से मेरे पिता ने पार्टी की शुरुआत की थी. बिहार को आगे विकास की राह पर ले जाने की सोच पर कार्य किया. उनके जाने के बाद इस कार्यालय को मुझसे छीना गया. उन्होंने आगे कहा कि जहां पर बैठ कर मेरे पिता कार्य करते थे अब वहीं बैठ कर काम करूंगा. उनके अधूरे सपने को पूरा करने का कार्य हमारी पार्टी कोशिश करेगी. हमारे पांच सांसद हैं. आगे विधानसभा चुनाव है. 2025 में एनडीए के जीत के लक्ष्य को साधने की कोशिश करेंगे. मजबूत जीत हो हमारी. हम 225 से ज़्यादा सीटें जीतें. ये कार्यलय हमारे लिए शुभ रहा है. हमेशा से पापा का आशीर्वाद है.
चिराग पासवान की मां रीना पासवान भी इस दौरान मौजूद रहीं. उन्होंने बातचीत में कहा कि मेरे देवर ने यहां आने ही नहीं दिया. अब बेटा इस कार्यालय में लेकर आया है. खुशी है कि बेटा आगे बढ़ रहा है. अब इसी दफ्तर में गुरुवार को एलजेपी के स्थापना दिवस के कार्यक्रम का नेतृत्व चिराग पासवान करेंगे.
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