(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Exclusive: चिराग का दावा- PM कैंडिडेट बनने की राह ढूंढ रहे CM नीतीश, विशेष राज्य के दर्जे की मांग केवल बहाना
चिराग ने कहा कि सीएम की प्रधानमंत्री बनने की बड़ी महत्वाकांक्षा है. 2014 में भी तो यह पीएम का दावेदार बनना चाहते थे. तभी 2013 में उनका हाथ छटककर अलग हुए थे. अब ये बहाना ढूंढ रहे बीजेपी से अलग होने का.
पटना: लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और जमुई सांसद चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने दावा किया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) लोकसभा चुनाव 2024 में पीएम कैंडिडेट बनने के लिए रास्ता बनाना शुरू कर दिया है. शनिवार को एबीपी से बातचीत के दौरान बिहार एनडीए में जारी विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए चिराग ने कहा कि दोनों पार्टियों के बीच की खींचतान वे लंबे समय से देख रहे हैं. गठबंधन के बीच की दरारें किसी से छिपी नहीं हैं.
प्रधानमंत्री बनने की है महत्वाकांक्षा
पेगासास मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जांच की मांग करते हैं, जातीय जनगणना पर केंद्र सरकार के खिलाफ अपनी बातों को रखते हैं, जनसंख्या नियंत्रण कानून पर उनका विषय अलग रहता है. विशेष राज्य का दर्जा आज कल एक नया झुनझुना बन गया है. ये सब उन्हें तब याद क्यों नहीं आया, जब 2019 में उनके साथ चुनाव लड़ा था.
चिराग ने कहा, " तब उन्होंने विशेष राज्य के दर्जा की मांग नहीं की. दो चुनाव उन्होंने बैक टू बैक उनके साथ मिलकर लड़े, तब उस समय विशेष राज्य के दर्जा की मांग नहीं की. उनकी प्रधानमंत्री बनने की बड़ी महत्वाकांक्षा है. 2014 में भी तो यह प्रधानमंत्री का दावेदार बनना चाहते थे. तभी 2013 में उनका हाथ छटककर अलग हुए थे. अब उनकी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में औपचारिक तौर पर ये प्रस्ताव पारित हो गया कि ये पीएम मैट्रियल हैं. ऐसा कहीं होता है क्या?"
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बीजेपी से अलग होने का बहाना ढूंढ रहे
जमुई सांसद ने कहा, " हम सब एक पार्टी चलाते हैं और जानते हैं कि काम कैसे होता है. पार्टी में इस तरह से प्रस्ताव ऐसे ही पारित नहीं होते हैं, उसके पीछे बहुत स्क्रूटनी होती है. विषय की चर्चा की जाती है. ऐसे में अगर आप ऐसा कर रहें तो ये स्पष्ट है कि आप अब बहाना ढूंढ रहे हैं, अपने आप को बीजेपी से अलग करने का. ताकि 2024 में आप विपक्षी दल के नेता बनके प्रधानमंत्री के सामने प्रधानमंत्री का दावेदार बन सकें."
उन्होंने कहा, " जैसे सबके सबके लिए वो मुख्यमंत्री, वैसे ही मेरे लिए भी हैं. उम्र में, रुतबे में, तजुर्बे में वो मुझसे बहुत बड़े हैं. लेकिन उनकी नीतियों का विरोध करता हूं. आज बिहार को बेहतर शिक्षा और रोजगार जॉब चाहिए. 19 लाख रोजगार का वादा करके वे सत्ता में आए थे. मैं दावे के साथ कहता हूं कि 19 लोगों को यह रोजगार नहीं दे पाए पिछले डेढ़ साल में. तो मेरे मुद्दे अलग हैं. 10 मार्च के बाद क्या होगा नहीं होगा सरकार में यह रहें या कोई और रहे."
अपने कामों का हिसाब दें मुख्यमंत्री
चिराग ने कहा," आज युवाओं की बात नहीं सुनी जा रही, महिलाओं को सम्मान नहीं मिल रहा, बुजुर्गों को स्वास्थ्य सेवा नहीं मिल रही, बिहार का इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट नहीं हो रहा है. नीति आयोग बार-बार कहता है कि बिहार फिसड्डी है. हम लोगों को शर्म आती है एक बिहारी होने के नाते. पिछले 16 साल से आप मुख्यमंत्री हैं और बोलते हैं कि जाओ पूछो 15 साल पहले का बिहार कैसा था. लेकिन मुझे नहीं पूछना. युवाओं को उससे नहीं फर्क पड़ता कि 15 साल पहले का बिहार कैसा है. पिछले 15 साल से आप मुख्यमंत्री हैं, आप बताइए 15 साल में हमारे बिहार के लिए क्या किया है."
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