नई दिल्ली: चिराग पासवान 21 अक्टूबर से अपने चुनाव अभियान की औपचारिक शुरुआत करेंगे. पिता रामविलास पासवान की लंबी बीमारी और फिर उनकी मृत्यु के चलते अभी तक चिराग पासवान बाक़ी नेताओं की तरह चुनाव प्रचार में सीधे तौर पर नहीं उतर सके हैं. अब तक ये साफ़ हो चुका है कि चिराग पासवान के निशाने पर नीतीश कुमार रहेंगे.


अपनी चुनावी रैलियों और भाषणों में नीतीश कुमार लगातार अपने 15 साल के शासन काल बनाम लालू - राबड़ी के 15 साल के आधार पर लोगों से वोट मांग रहे हैं. चिराग पासवान अब नीतीश कुमार को उनके 15 साल के कामकाज के आधार पर नहीं , बल्कि पिछले पांच साल में किए गए काम के आधार पर चुनौती देने की योजना बना रहे हैं. इसके लिए नीतीश कुमार सरकार की ओर से पिछले पांच सालों में किए गए कामों का हिसाब मांगा जाएगा.


इसमें सबसे प्रमुख सवाल नीतीश कुमार के सात निश्चय कार्यक्रम पर उठाया जाएगा. 2015 में आरजेडी और कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ने के लिए नीतीश कुमार ने सात निश्चय कार्यक्रम का ऐलान किया था. इस कार्यक्रम में हर घर तक नल का पानी, शौचालय का निर्माण, बिजली कनेक्शन, पक्की गलियां और नालियां, युवाओं को आर्थिक रूप से सशक्तिकरण बनाना और सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण का वादा शामिल था.


चिराग पासवान इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर पहले भी नीतीश कुमार पर गम्भीर सवाल उठा चुके हैं. चिराग पासवान ने ट्वीट कर ये ऐलान किया था कि अगर उनकी सरकार बनती है तो सात निश्चय योजना में हुए घोटाले और भ्रष्टाचार की जांच की जाएगी और दोषियों को जेल भेजा जाएगा. अपने चुनवीं अभियान में यही सात निश्चय चिराग पासवान का असल मुद्दा होने वाला है.


चिराग पासवान ये लगातार कह रहे हैं कि नीतीश कुमार को वोट देना बिहार को बर्बादी की ओर ले जाएगा. चिराग पासवान ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा था कि नीतीश कुमार का फिर से मुख्यमंत्री बनना असम्भव है. पार्टी अब असम्भव नीतीश के नारे के साथ चुनाव मैदान में आगे बढ़ने की योजना बना रही है. पार्टी सूत्र यहां तक दावा कर रहे हैं कि चुनाव में लोजपा को जेडीयू से ज़्यादा सीटें आएंगी.


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