चिराग पासवान ने CM नीतीश कुमार को लिखा पत्र, JEE और NEET की परीक्षा स्थगित करने की लगाई गुहार
चिराग पासवान ने कहा कि बिहार में प्रति व्यक्ति की आय वैसे ही बहुत कम है और परीक्षा में बैठने वाले अधिकांश बच्चे गरीब परिवार से आते हैं. ऐसे में उनके लिए परीक्षा केन्द्र पहुंचने के लिए किसी निजी वाहन का व्यवस्था करना संभव नहीं होगा.
पटना: एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को पत्र लिखने के बाद के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कोरोना काल में JEE और NEET की परीक्षा स्थगित करने की मांग की है. साथ ही पत्र में उन्होंने बिहार की जनता की आमदनी को लेकर सीएम नीतीश कुमार को फिर एक बार घेरने की कोशिश की है.
चिराग पासवान ने अपने पत्र में लिखा, " इस पत्र के माध्यम से बिहार में रहने वाले लाखों बच्चों की समस्या को संज्ञान में देना चाहता हूं कि जो JEE और NEET के परीक्षा में बैठने जा रहे हैं. कोरोना महामारी और लॉकडाउन से उत्पन्न हुई परिस्थितियों की वजह से JEE और NEET में आकांक्षी छात्र-छात्राएं और उनके अभिभावक बहुत चिंतित हैं. यह समस्या सिर्फ मेरी लोकसभा क्षेत्र जमुई या सिर्फ बिहार के बच्चों के लिए नहीं बल्कि पूरे भारत के बच्चों के लिए है."
उन्होंने लिखा, " बिहार के छात्रों के लिए यह समस्या और बढ़ जाती है क्योंकि 6 सितम्बर 2020 तक बिहार में लॉकडाउन की घोषणा की गई है. लगातार बढ़ रहे कोरोना मरीजों की संख्या की वजह से सरकारी परिवहन सेवा जैसे बसें, इंटरसिटी ट्रेन काम नहीं कर रही हैं. ऐसे में परीक्षार्थीयों का परीक्षा केन्द्र पहुंवना बहुत मुश्किल रहेगा. बिहार में प्रति व्यक्ति की आय वैसे ही बहुत कम है और परीक्षा में बैठने वाले अधिकांश बच्चे गरीब परिवार से आते हैं. ऐसे में उनके लिए परीक्षा केन्द्र पहुंचने के लिए किसी निजी वाहन का व्यवस्था करना संभव नहीं होगा."
चिराग ने लिखा, " सोशल मीडिया के माध्यम से और फोन से और व्यक्तिगत मुलाकात कर बच्चों ने और अभिभावकों ने मुझे इस समस्या को केंद्रीय शिक्षा मंत्री और आपके संज्ञान में देने का आग्रह किया है और यह भी बताया कि कई बच्चे ऐसे हैं जो कोरोना संक्रमित हैं, उनके लिए कोई नियम की स्पष्ट नहीं है. ऐसे में वह अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित हैं. JEE और NEET के परीक्षा में देश भर में लगभग 25 लाख बच्चे शामिल होंगे और लगभग 1.5 करोड़ लोग इससे प्रमावित होंगे. इस परीक्षा में बैठने वालों में से बिहार के बच्चों की तादात भी बहुत हैं."
उन्होंने लिखा, " बिहार में लगभग 15 जिले बाढ़ से प्रमावित है और कई बच्चे ऐसे है जो बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से आते हैं ऐसे में उनके लिए कठिनाईयां और भी बढ़ जाती है. बिहार में प्रतिदिन लगभग हजार केस सामने आ रहे हैं. ऐसे में परीक्षार्थीयों के घर में मौजूद बुर्जुगों को संक्रमण होने की संभावना बढ़ जायेगी.
चिराग ने लिखा, " अभिभावक का कहना कि JEE और NEET परीक्षाओं में बैठने वाले सभी बच्चों की अधिकांश उम्र 17 से 19 वर्ष होती है, जिसके कारण इनके अभिभावक भी परीक्षा केंद्र इनके साथ जाते हैं क्योंकि JEE और NEET की परीक्षा दो शिफ्ट में होनी है इस वजह से सुबह की परीक्षा में बैठने के लिए एक दिन पहले केंद्र के पास कहीं रुकना पड़ेगा जो लॉकडाउन में संभव नहीं है."
उन्होंने लिखा, " बिहार राज्य की प्रति परिवार आय देश में सबसे निचले पायदान पर है जिसको देखते हुए मुझे यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं है कि बिहारी परिवार के लिए अपने बच्चों को ऐसी कठिन परिस्थिति में परीक्षा केन्द्र भेजने में या साथ ले जाने में आर्थिक कठिनाई का भी सामना करना पड़ेगा. मेरी राय में भी बिना सरकारी परिवहन व्यवस्था के परीक्षा केन्द्र पहुंचना मुश्किल है और यकीनन इससे संक्रमण का खतरा भी बढ़ जायेगा. मौजूदा परिस्थिति और अपने भविष्य की अनिश्चितता के घबराहट से देश भर में कई बच्चों ने आत्महत्या भी की है.
चिराग ने कहा, " कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने परीक्षा कराने में असमर्थता जाहिर करते हुए परीक्षा टालने की मांग की है. बाकि राज्यों की तुलना में कोरोना और बाढ़ के तजह से बिहार की हालात अत्यंत खराब है. इसी लिए मैं लोक जनशक्ति पार्टी के तरफ से आपसे भी मांग करता हूं कि आप केन्द्र सरकार को बिहार के मौजूदा स्थिति से अवगत कराएं और हालात सुधरने तक परीक्षा टालने का आग्रह करें."