(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
चिराग ने कहा- नीतीश कुमार का सत्ता से बेदखल होना जरूरी, अब हठधर्मिता पर आ गए हैं मुख्यमंत्री
चिराग ने कहा कि नीतीश कुमार का सत्ता से बेदखल होना जरूरी है. अब हमारे मुख्यमंत्री हठधर्मिता पर आ गए हैं. वो जो सोच रखते हैं और यहां के युवा जिस तरह की सोच रखते हैं वो अलग है.
पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव है, ऐसे में एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान इनदिनों बेटे के फर्ज के साथ-साथ पार्टी के प्रति अपने फर्ज निभाने में लगे हुए हैं. इसी क्रम में पिता के अंतिम संस्कार के बाद कल चिराग ने एबीपी न्यूज से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि बिहार में मुख्यमंत्री का बदलना बहुत जरूरी हो गया है. वहीं, उन्होंने कहा कि मैं बीजेपी की मजबूरी समझ रहा हूं. लेकिन यह तय है कि चुनाव के बाद बीजेपी और एलजेपी मिलकर सरकार बनाएगी.
नीतीश कुमार का सत्ता से बेदखल होना है जरूरी
चिराग ने कहा, " नीतीश कुमार का सत्ता से बेदखल होना जरूरी है. अब हमारे मुख्यमंत्री हठधर्मिता पर आ गए हैं. वो जो सोच रखते हैं और यहां के युवा जिस तरह की सोच रखते हैं वो अलग है." चिराग ने पूछा कि नीतीश कुमार क्यों नहीं आईटी को बढ़ावा दे रहे हैं? वो क्यों नहीं इन्वेस्टर समिट करते हैं? वो करेंगे भी कैसे जब वो ही कहते हैं कि बिहार में इंडस्ट्री खुल ही नहीं सकती है और क्यों तो इसका भूगोल ही ऐसा है.
नीतीश कुमार पर जमकर साधा निशाना
चिराग ने नीतीश पर निशाना साधते हुए कहा कि वो कहते हैं कि बिहार पानी से घिरा हुआ है. इसी तरह पंजाब और हरियाणा में भी है पर उन्होंने तो स्पष्ट रूप से ये कह दिया कि जबतक वो मुख्यमंत्री हैं, प्रदेश में इंडस्ट्री नहीं खुल सकती. मतलब रोजगार के अवसर किसी भी युवाओं को नहीं मिलेंगे. आज जिस तरह से पलायन चल रहा है, आगे भी उसी तरह से चलता रहेगा. वो नली-गली से ऊपर कुछ सोच नहीं रहे हैं.
देश के लोग पूछते हैं सवाल
उन्होंने कहा कि देश दुनिया किस पैमाने पर विकास कर रहा है और वो अभी भी नली गली पर ही अटके हुए हैं, वो टीवी पर जो बाईट चलाते हैं, उसे देख अन्य प्रदेशों के लोग मुझसे कहते हैं कि क्या तुम्हारे प्रदेश में नली-गली बनना इतनी बड़ी उपलब्धि है कि जिसके लिए ऐड तैयार की जाती है.
सीट को लेकर नहीं है मेरी लड़ाई
एबीपी न्यूज से बातचीत के दौरान चिराग ने कहा, " मैं बीजेपी नेताओं की मजबूरी को भी समझ रहा था. इसलिए मैंने उन्हें स्पष्ट रूप से कहा कि मेरी लड़ाई सीट को लेकर बिल्कुल भी नहीं है. मैं आपकी मजबूरी को भी समझ रहा हूं कि आपके साथी आपको दबाएंगे आपको सीट देने में क्योंकि उन्हें बड़े भाई की भूमिका निभाना अच्छा लगता है. इसलिए शायद आपको उतनी सीट मिले ही नहीं जिसमे से आप मेरी अपेक्षा को आप पूरा कर सकें."
मेरे पास नहीं बचा था कोई विकल्प
चिराग ने कहा कि मैं अपने हक की लड़ाई लड़ रहा हूं. 2015 में जिस सीट से लड़ा अगर वो सीट मैं मांग रहा हूँ तो क्या गलत मांग किया. मैं अगर उससे ज्यादा मांगता तो शायद मैं गलत होता पर मैं तो जितना मेरा हक था उसी की बात कर रहा था. लेकिन मेरी अमित शाह से बात हुई और मैंने उन्हें इतना ही कहा कि क्या मेरा विजन साझा निरुतम कार्यक्रम में जोड़ा जाएगा या नहीं क्योंकि मेरी लड़ाई सिर्फ उसी के लिए है, उसके कुछ दिन बाद ही मुख्यमंत्री जी ने सात निश्चय पार्ट टू की घोषणा कर दी उसके बाद मेरे पास कोई विकल्प ही नहीं बचा था, सीट को लेकर मेरी लड़ाई नहीं थी और एजेंडा में सरकार में सेट नहीं हुआ.
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