पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने राजधानी पटना में मंगलवार को आईएमए के 96वें राष्ट्रीय अधिवेशन का उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने वहां मौजूद डॉक्टरों समेत अन्य लोगों को संबोधित किया. संबोधन के दौरान उन्होंने पुराने दिनों की बात याद की. मुख्यमंत्री ने कहा, " 24 नवंबर, 2005 में हम लोगों को काम करने का मौका मिला. उसके बाद हमने सर्वेक्षण कराया और फरवरी 2006 में सर्वे की रिपोर्ट आई, तो उसमें पता चला कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक महीने में मात्र 39 मरीज इलाज के लिए जाते थे. उस समय अस्पतालों की क्या हालत थी."


साल 2006 से कर दी व्यवस्था


उन्होंने कहा, " कितने डॉक्टरों को बिहार छोड़कर जाना पड़ा था. वैसी स्थिति में हम लोगों ने काम करना शुरु किया और अब कितना बड़ा परिवर्तन आया है. अस्पतालों में चिकित्सकों, कर्मियों की उपलब्धता के साथ-साथ मुफ्त दवा की व्यवस्था हम लोगों ने करवाई. लोगों के इलाज के अलावा सभी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा भी हम लोगों ने अगस्त 2006 से उपलब्ध कराया. उस समय के उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत से हम लोगों ने इसकी शुरुआत कराई थी."


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मुख्यमंत्री ने याद की पुरानी बातें


नीतीश कुमार ने कहा, " साल 2019 में जो आंकड़ा सामने आया उसके अनुसार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर 10 हजार मरीज प्रति महिने पहुंचने लगे. साल 2013 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने हमें फोन कर कहा कि राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में दवा उपलब्ध कराई जाती है. हमने हंसते हुए उनसे कहा कि हम लोग साल 2006 से ही राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में दवा उपलब्ध कराने का काम रहे हैं. हम काम अधिक करते हैं, प्रचार कम करते हैं. हम प्रचार-प्रसार में विश्वास नहीं करते हैं बल्कि काम करते हैं. कुछ लोग काम कम और प्रचार अधिक करते हैं. आश्चर्य की बात है कि इतने दिनों तक तत्कालीन केंद्र की सरकार को इसकी जानकारी नहीं थी."


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